ध्यान से ही संभव होती है वीतरागता

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ध्यान से ही संभव होती है वीतरागता

प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षक रणजीत दुगड़ ने ध्यान, योग साधना, कायोत्सर्ग पर विवेचन करते हुए कहा कि मानव जीवन अनमोल हीरा है। आप समय निकालें और ध्यान साधना को जीवन का मुख्य अंग बनाए। शक्ति व सुखमय जीवन ध्यान से ही संभव है। ‘शासन गौरव’ साध्वी राजीमतीजी ने कहा कि रणजीत दुगड़ विद्यार्थी की तरह प्रेक्षाध्यान सिखाता है। वह ध्यान साधना में और आगे बढ़े। अंतिम लक्ष्य मोक्ष ध्यान के बिना संभव नहीं है। ध्यान की गहराई में पहुंचकर ही वीतरागता प्राप्त की जा सकती है। रात्रि में चिंतन करें कि आज मैंने क्या किया? क्या खाया? क्या पाया? जीवन का रूपांतरण होता चला जाएगा, अध्यात्म व ध्यान में रुचि बढ़ती जाएगी।