भगवान महावीर निर्वाणोत्सव एवं दीपावली पर विविध कार्यक्रम
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में तेरापंथ महिला मंडल डोंबिवली ने '2024 की दीपावली- खुशियों की दीपावली' कार्यशाला का आयोजन उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी ठाणा-4 के सान्निध्य में किया। मुनिश्री ने नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने 'आत्मा के विमोचन' विषय पर उद्बोधन प्रदान करते हुए बताया कि भरत चक्रवर्ती ने 6 खंडों का राज्य करते हुए भी अनासक्ति का परिचय दिया, और मरुदेवा माता अनासक्ति भाव से मोक्ष को प्राप्त हुईं। मुनिश्री ने दीपावली के पावन अवसर पर मकान, दुकान, संस्थान के साथ-साथ मन को भी स्वच्छ करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि आसक्ति दु:ख का भंडार है, जबकि विसर्जन से ही सच्चा सुख प्राप्त होता है। हमें कषाय, राग, द्वेष, क्रोध, मान, माया और लोभ का विसर्जन करना चाहिए। दीपावली के इस अवसर पर सभी को उपवास और जप की प्रेरणा दी। भगवान महावीर के निर्वाण का उदाहरण देते हुए उन्होंने दीप प्रज्वलन की महत्ता पर प्रकाश डाला और बताया कि उस समय दीपों का प्रकाश अंधकार को दूर करने का माध्यम था। आज के समय में, जब बिजली उपलब्ध है, हमें आत्मा के विमोचन के लिए अनर्थ कर्मों से मुक्त होने और अनासक्ति भाव अपनाने का अभ्यास करना चाहिए। कार्यक्रम में महिला मंडल अध्यक्ष सीमा कोठारी ने सभी का स्वागत किया और दीपावली पर मिट्टी के दीपक के बजाय क्षमा और अनासक्ति के दीपक जलाने की प्रेरणा दी। महिला मंडल की बहनों द्वारा सुमधुर मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। उपासिका किरण कोठारी ने अनासक्ति पर विचार व्यक्त किए और कहा कि दु:ख का मूल कारण आसक्ति है, जिसका स्रोत राग और द्वेष हैं। उन्होंने कहा कि शरीर का उपयोग तो करें, परंतु मोह न करें, क्योंकि शरीर नश्वर है। उपासिका कुसुम बड़ाला ने क्षमा के महत्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि क्षमा वीरों का आभूषण है। दीपावली पर्व पर मनमुटाव छोड़कर सभी को एक-दूसरे से क्षमा मांगनी और देनी चाहिए। क्षमा का दीप प्रज्वलित करने से राग-द्वेष रूपी कषाय भस्म हो जाते हैं। उपासिका उर्मिला बड़ाला ने आचार्य तुलसी द्वारा रचित राग-द्वेष पर आधारित गीतिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम में लगभग 200 भाई-बहनों के साथ सभी संस्था के पदाधिकारी उपस्थित रहे, सभी के संयुक्त प्रयास से आयोजन सफल रहा।