तपोभिवंदना एवं प्रतिभा सम्मान
डॉ. साध्वी शुभप्रभाजी के सान्निध्य में तपोभिवंदना एवं प्रतिभा सम्मान का कार्यक्रम आयोजित किया गया। साध्वी शुभप्रभाजी ने कहा भारतीय परम्परा में साधना के कई प्रकार हैं। ज्ञान योग, कर्मयोग, सन्यास योग और तपोयोग। तपस्या के माध्यम से व्यक्ति तन शुद्धि, मन का परिष्कार, बुद्धि की वृद्धि और चरित्र को निर्मल बना सकता है। मोक्ष के चार अंग- ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप के क्षेत्र में अपनी-अपनी रूचि से व्यक्ति आगे विकास कर सकता है। तप सचमुच सुपर दवाई है जो न धरती पर, न आकाश में, न पर्वत पर और न जल में मिलती है। यह दवा अन्तर आत्मा में ही निहित है। इसे उद्घाटित करने के लिए मजबूत मनोबल चाहिए। भगवान महावीर ने निर्जरा के 12 भेद बताएं हैं उनमें से तप भी एक है। तप एक ऐसी अग्नि है जो कर्मों का शोधन व शोषण करती है।
मेधावी सम्मान के प्रसंग पर साध्वीश्री ने कहा कि आज तो बच्चे मेधावी ही पैदा होते हैं। आज बच्चों का बुद्धि लेवल ज्यादा है पर आई क्यू के साथ एस क्यूए, पी क्यू भी बढ़े। बुद्धि से समस्या का समाधान भी किया जा सकता है एवं उलझाया भी जा सकता है। साध्वी कान्तयशा जी ने गीत का संगान किया। सभा मंत्री राजीव दूगड़, महिला मण्डल अध्यक्षा सुषमा पींचा, युवक परिषद अध्यक्ष लोकेश जैन ने विचाराभिव्यक्ति दी। वर्षा जैन ने मंगलाचरण किया। धीरज छाजेड़ ने कार्यक्रम का संचालन किया। युवक परिषद द्वारा तपस्वियों एवं प्रतिभा सम्पन्न मेधावी छात्रों का प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मान किया गया।