गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के 111वें जन्म दिवस पर विविध कार्यक्रम

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गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के 111वें जन्म दिवस पर विविध कार्यक्रम

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में गुरुदेव श्री तुलसी का 111वां जन्म दिवस अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया गया। मुनिश्री ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं सर्व प्रथम कालूगणी के साहस को नमन करता हूं जिन्होंने एक बाईस वर्षीय युवासंत के कंधों पर विशाल तेरापंथ धर्म संघ का दायित्व सौंपा और नमन करता हूं आचार्यश्री तुलसी को जिन्होंने अपने गुरु के विश्वास को सफल कर तेरापंथ को विकास और विस्तार किया। देश-विदेश में आज जो सुन रहे हैं, देख रहे हैं, यह सब गुरुदेव श्री तुलसी की दूरदर्शिता का ही सुपरिणाम है। गुरुदेव तुलसी ने नए-नए आयाम देकर व्यक्ति का जो निर्माण किया उसे युग नहीं शताब्दियों तक स्मरण किया जाएगा। समण श्रेणी पारमार्थिक शिक्षण संस्था, युवक परिषद्, महिला मंडल कन्या मंडल, किशोर मंडल, उपासक श्रेणी, ज्ञानशाला, जैन संस्कार विधि, अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान, आगम साहित्य, जैन विश्व भारती आदि गुरुदेव तुलसी की अमर देन हैं। आपने गंगापुर में दायित्व संभाला और गंगाशहर में शरीर का विर्सजन किया। इस शरीर से देश के कोन-कोने भ्रमण कर जन-जागरण किया। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी और आचार्य महाश्रमणजी भी आपकी ही देन हैं। इस अवसर पर सूर्यप्रकाश श्यामसुखा, मनोज सिंघवी, रमेश मादरेचा, महावीर बड़ाला, नितिन मेहता, सुरेश बैद, कन्या मंडल की कन्याएं अनिता धाकड़, अमित जैन, विनय कुमार, हेमा मुणोत, कुसुम बड़ाला ने अपने-अपने संगठनों का प्रतिनिधित्व किया। मुनि अमन कुमारजी, मुकेश कुमारजी ने अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम के दूसरे चरण में मुनि नमिकुमार जी की तपस्या का अनुमोदन किया गया। मात्र 9 महीने में 19, 18, 15, 21, 26, 51 दिन की तपस्या करके सबको आश्चर्य चकित कर दिया। मुनि नमिकुमार जी की तपस्या केवल तेरापंथ में ही नहीं पूरे जैन शासन में कीर्तिमान हो सकती है। मुनि कमल कुमारजी ने गीत का सृजन कर नमि मुनि के तप का वर्धापन किया। मुनि नमिकुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा गुरुदेव की कृपा से तपस्या में आगे बढ़ सका। इस अवसर पर भाई-बहनों सामायिक के तेले किए। भंवरलाल कोठारी, राजू हिरावत ने तप का प्रत्याख्यान किया। कार्यक्रम में मुनि अमनकुमार जी, मुनि मुकेशकुमार जी ने भी अपने भावपूर्ण विचार प्रकट किए। कपूरचन्द्र जैन ने 29, प्रकाश जैन ने 24 और दिनेश जैन ने 39 का प्रत्याख्यान किया।