त्रयोदशी पर भिक्षु भक्ति का भव्य आयोजन

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त्रयोदशी पर भिक्षु भक्ति का भव्य आयोजन

आचार्य भिक्षु समाधि स्थल संस्थान सिरियारी एवं अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के संयुक्त तत्त्वावधान में सिरियारी में भिक्षु भक्ति का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मुनि धर्मेशकुमार जी के सान्निध्य एवं मुनि चैतन्यकुमार ‘अमन’ के मार्गदर्शन में सूरत से समागत प्रीति बेगवानी ने अपने सुमधुर स्वरों में भिक्षु गीतों की प्रस्तुति दी। मुनि धर्मेशकुमारजी ने अपने सम्बोधन में कहा जो भिक्षु स्वामी की आराधना करता है उसका तन-मन शांत रहता है। निष्काम भक्ति से शक्ति मिलती है। भिक्षु के गुणों की स्मृति करने वाला साक्षात् दर्शन प्राप्त कर सकता है। जरूरत है व्यक्ति साधना का जीवन जीता हुआ अपने मन का निग्रह करें। मुनि चैतन्य कुमारजी ने स्वरचित गीत प्रस्तुत करते हुए कहा- जीवन में गुरू का सर्वोपरि स्थान है। जीवन में गुरु नहीं तो जीवन शुरू नहीं। गुरू शब्द ही अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि गुरू दीपक है, मार्गदाता है, आनंद प्रदाता है। गुरु है तो ज्ञान है, ध्यान है, मान है, सम्मान है और जीवन में शान है। आचार्य भिक्षु एक गुरू थे, जिनकी साधना-आराधना उत्तम थी। इस अवसर पर भक्ति की शक्ति को अहसास कराने वाले गीतों को प्रस्तुति देते हुए पाली से समागत राहुल बालड़ ने एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में संगायिका प्रीति बेगवानी को साहित्य व दुपट्टा प्रदान कर आचार्य श्री भिक्षु समाधि स्थल संस्थान के मंत्री मर्यादा कोठारी एवं विजय जैन ने सम्मानित किया।