कंठीतप अभिनंदन समारोह का हुआ आयोजन
आचार्य श्री महाश्रमण जी की ऊर्जा से एवं साध्वी डॉ. पीयूषप्रभा जी की प्रेरणा से पालघर में प्रथम बार कंठीतप का अभिनंदन कार्यक्रम समायोजित हुआ। कंठीतप आराधिका हेमा प्रकाश बाफना के तप अनुमोदन कार्यक्रम में सभाध्यक्ष चतुर जी तलेसरा एवं महिला मंडल अध्यक्षा संगीता चपलोत, प्रकाश बाफना ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन नरेश राठौड़ ने किया। बहिनों ने गीत का संगान किया।
हेमा के कंठीतप का अनुमोदन करते हुए साध्वी डॉ. पीयूषप्रभा जी ने कहा तपस्या के प्रति जब व्यक्ति का झुकाव होता है तो उसका लक्ष्य, उसका मन तप की ओर अग्रसर हो जाता है। जैन धर्म में अनेक प्रकार की तपस्या होती है। उत्कृष्ट तपस्या तो तीर्थंकर ही करते हैं। भगवान ऋषभ ने सबसे पहले तप के द्वार खोले और उनकी स्मृति में वर्षीतप की आराधना होती है, जो हेमा ने भी इस वर्ष सम्पूर्ण की। कंठीतप का अनुष्ठान 43 दिन का है जिसमें 28 दिन के तप के होते हैं। हेमा ने संकल्पबल, मनोबल एवं गुरुदेव की ऊर्जा और परिवार के सहयोग से यह तप पूर्ण किया है। साध्वी भावनाश्री जी ने तप अनुमोदना में विचार व्यक्त किए। साध्वी सुधाकुमारीजी एवं साध्वी दीप्तियशा जी ने समवेत स्वरों में तप गीत की प्रस्तुति दी। सभा की ओर से तपस्विनी बहन का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी दीप्तियशा जी और सभा मंत्री दिनेश राठोड़ ने किया।