सामूहिक आयंबिल तप अनुष्ठान
आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी मधुस्मिताजी के सान्निध्य में सम्पूर्ण अहमदाबाद स्तरीय सामूहिक आयंबिल तप अनुष्ठान का आयोजन पश्चिम सभा भवन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र से किया गया। महिला मंडल की बहनों ने भिक्षु अष्टकम द्वारा मंगलाचरण किया। पश्चिम सभा अध्यक्ष सुरेश दक ने स्वागत वक्तव्य दिया। साध्वी काव्यलता जी भी अमराई वाड़ी से 12 किमी का विहार कर पहुचें। सभी साध्वियों ने भी आयंबिल तप किया। साध्वी सहजयशा जी ने नवपद का सामूहिक जाप करवाया। साध्वीवृंद ने साध्वी मधुस्मिताजी द्वारा रचित गीत का सामूहिक संगान किया।
साध्वी काव्यलता जी ने कहा साध्वी मधुस्मिताजी तप द्वारा स्वयं तो तृप्त हुए ही, साथ में पूरे अहमदाबाद को भी तृप्त कर दिया। आपने कहा कि यह आयोजन निर्जरा का, आत्मा का आयोजन है। साध्वी मधुस्मिताजी ने तप का महत्व समझाते हुए कहा कि तप के 12 प्रकारों में ऊनोदरी तप में आयंबिल सबसे कठिन तप है। इसमें स्वाद विजय की साधना होती है जो हमारे स्वास्थ्य लाभ में सहभागी बनती है। आहार संयम से क्रोध में कमी आती है, चित्त में प्रसन्नता आती है, स्वास्थ्य लाभ से दीर्घायु को प्राप्त होते हैं। लगभग 500 श्रावक- श्राविकाओं ने आयम्बिल अनुष्ठान में भाग लिया। श्रावक छीत्तरमल मेहता का इस आयोजन में सराहनीय श्रम लगा। कार्यक्रम का सुनियोजित संचालन संयोजिका चांदबाई छाजेड़ ने किया। आभार ज्ञापन राजेंद्र बोथरा ने किया।