पंच दिवसीय संस्कार निर्माण कार्यशाला का हुआ आयोजन

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पंच दिवसीय संस्कार निर्माण कार्यशाला का हुआ आयोजन

मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य तथा दक्षिण हावड़ा तेरापंथ सभा के तत्वावधान में पंच दिवसीय संस्कार निर्माण कार्यशाला का आयोजन प्रेक्षा विहार में हुआ। जिसमें पांच दिनों में 113 बालक-बालिकाओं ने उत्साह व निष्ठा के साथ भाग लिया। समापन समारोह में मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा प्रत्येक व्यक्ति विकास चाहता है। विकास के मूल सूत्र हैं- विनय और विवेक। आकाश में उड़न भरने के लिए पक्षी को पंखों की आवश्यकता रहती है, वैसे ही बच्चों को विकास के लिए विवेक रुपी पंखों की जरूरत रहती है। आज व्यक्ति सद्संस्कार, सद्शिक्षा से दूर होता जा रहा है। हालत ऐसे है कि जन्म हॉस्पिटल में, बचपन हॉस्टल में, यौवन होटल में, अंत में रही-सही जिन्दगी भी हास्पिटल में पूरी हो जाती है। मां बाप का नैतिक दायित्व है कि वे बच्चों को सुसंस्कार दे ताकि उनका जीवन समुन्नत हो। बच्चों को संस्कारी बनाना घर-परिवार को संस्कारी बनाना है। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों का अच्छा विकास हो सकता है।
कार्यशाला में बच्चों को मुनि जिनेशकुमारजी के अतिरिक डॉ. प्रेमलता चौरड़िया, संजय पारख, सुप्रिया श्यामसुखा, डॉ. लावण्या कोठारी, उपासक सुशील बाफणा ने विविध विषयों पर प्रशिक्षण दिया। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने बच्चों को जैन विद्या का अध्ययन व कंठस्थ ज्ञान कराया। मुनि परमानंदजी ने विचार रखे। ज्ञानशाला व्यवस्थापक प्रदीप पुगलिया, राजेन्द्र चौपडा, संजय पारख, हेमलता बैगानी ने कार्यशाला में ज्ञान वर्धक व रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। जिसमें प्रथम, दितीय, तृतीय आने वाले प्रतियोगियों को उत्साह वर्धन हेतु सभा के द्वारा पुरस्कृत किया गया। तेरापंथ महिला मंडला की अध्यक्षा चन्द्रकांता पुगलिया ने प्रतियोगिता के बारे में बताते हुए परिणामों की घोषणा की। आभार तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष बजरंग डागा ने किया।