विशेषताओं से प्रेरणा प्राप्त आध्यात्मिकता की ओर बढ़ें
मुनि प्रशांत कुमारजी के सान्निध्य में मुमुक्षु भीखमचंद नखत का मंगल भावना समारोह आयोजित किया गया। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा - मुमुक्षु भीखमचंद नखत उपस्थित हैं, सभी साधु-साध्वियों के साथ प्राय: श्रावक समाज भी इनसे परिचित हैं। वर्षों से तीनों आचार्यों की सेवा करते आए हैं। लगातार 19 वर्षों से बारह महीने की सेवा करके जीवन गुरु चरणों में समर्पित कर दिया है। अणुविभा के अध्यक्ष पद का दायित्व भी जागरुकता से निभाया। जीवन को तप-त्याग, संयम-वैराग्य भाव से भावित रखना, ये इनका विशिष्ट गुण है। वर्तमान में पूज्य प्रवर द्वारा साधु प्रतिक्रमण का आदेश प्राप्त करने के पश्चात धर्मसंघ के सभी साधु-साध्वियों के दर्शन कर विपुल पुण्य का संचय किया है। जीवन की अनेक विशेषताओं को देखकर गुरु कृपा प्राप्त की। ऐसे व्यक्ति से प्रेरणा मिलती है। इनसे प्रेरणा प्राप्त कर जीवन में सभी को आध्यात्मिकता की ओर बढ़ना चाहिए।
मुनि कुमुद कुमारजी ने कहा- तेरापंथ की दीक्षा का अर्थ है अपने अहंकार और ममकार का विसर्जन। गुरु के प्रति समर्पित रहने वाला ही सिद्धि को प्राप्त करता है। साधु से सिद्ध की यात्रा हम सबको करनी है। एक विरल व्यक्तित्व ने वर्षों तक आचार्यों की निरन्तर सेवा में रहकर गुरु कृपा प्राप्त की है। गृहस्थ जीवन में इस प्रकार की धर्मसंघ की सेवा में आध्यात्मिकता के साथ सामाजिक दायित्व को निभाया, अब पूर्णत: आध्यात्मिक जीवन की ओर गतिमान हैं। मुमुक्षु नखत ने कहा- पूर्वाचार्यों से समय-समय पर दीक्षा की भावना व्यक्त करता रहा। प्रतिदिन मुझे दीक्षा लेनी है यह जपाराधना का भी क्रम बना रहा। भीतरी इच्छा और गुरु कृपा से संयम रत्न की प्राप्ति हो रही है। तीनों ही आचार्यों की परम कृपा मिली, सदैव आभारी रहूंगा। सभा अध्यक्ष बाबूलाल सुराणा, तेरापंथ युवक परिषद् मंत्री पंकज सेठिया, अणुव्रत समिति मंत्री संजय चौरड़िया एवं रंजना बरड़िया ने विचारों की अभिव्यक्ति दी। संघीय संस्थाओं द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमुद कुमार जी ने किया।