वस्तु के साथ आसक्ति वृत्ति का भी करें त्याग

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वस्तु के साथ आसक्ति वृत्ति का भी करें त्याग

मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में अभातेममं निर्देशित दीपावली कार्यशाला 'आत्मावलोकन' का सफल आयोजन प्रेक्षा विहार में तेरापंथ महिला मंडल साउथ हावड़ा द्वारा किया गया। कार्यशाला में साउथ हावड़ा, उत्तर हावड़ा, मध्य कोलकाता, बेहाला महिला मंडल की बहनों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला का विषय अनासक्त भावना का विकास और आत्मा का विमोचन रखा गया था। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा व्यक्ति को विपुल वैभव प्राप्त हो सकता है। सुख-संपदा प्राप्त हो सकती है। पुत्र, ज्ञाति जन, बंधुजन सब कुछ प्राप्त हो सकते हैं। लेकिन धर्म का मिलना मुश्किल है। धर्म का एक सूत्र है- अनासक्त भावना का विकास। अनासक्त चेतना का विकास होने पर व्यक्ति वीतरागता की ओर प्रस्थान कर सकता है। जब तक देह, नेह, व गेह के प्रति आसक्ति रहेगी तब तक आत्मा का दर्शन दुर्लभ है, वीतरागता का विकास असंभव है। व्यक्ति केवल वस्तु का ही त्याग न करे, वस्तु के साथ आसक्ति वृत्ति का भी त्याग करें।
मुनिश्री ने आगे कहा विसर्जन केवल धन का ही नहीं होता, कषाय का विसर्जन जरूरी है। व्यक्ति आत्मा के विमोचन के लिए क्षमा की साधना करे। क्षमा धर्म का प्रवेश द्वार है, क्षमा जीवन का आभूषण है। व्यक्ति को क्रोध, घृणा, नफरत, वैर से दूर रहना चाहिए। ध्यान साधना के द्वारा अनासक्ति व क्षमा का विकास किया जा सकता है। दीपावली ज्योति का पर्व है। ज्योति के लिए क्षमा जरूरी है। इस अवसर पर मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सभी महिला मंडल के पदाधिकारियों द्वारा गीत संगान से हुआ। स्वागत भाषण तेरापंथ महिला मंडल साउथ हावड़ा की अध्यक्षा चंद्रकांता पुगलिया ने दिया। साउथ हावड़ा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफणा ने शुभकामना संप्रेषित की। मुमुक्षु भीखमचंद नखत ने अपने अनुभवों को संजोते हुए विचार व्यक्त किये। आभार ज्ञापन मंत्री रेखा बैंगानी ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंदजी ने किया।