पैंसठिया यंत्र का शक्तिवर्धक आध्यात्मिक अनुष्ठान
गांधीनगर। साध्वी उदितयशाजी जी के सान्निध्य में लाल एवं सफेद परिधान में साधक-साधिकाओं को क्लीं मंत्र के पिरामिड में अवस्थित किया गया। चौबीस तीर्थंकरों की लयबद्ध स्तुति के साथ यंत्र दर्शन के द्वारा सकारात्मक प्रकंपनों को उत्पन्न किया गया। साधक-साधिकाओं ने भावपूर्ण आराधना की। साध्वी उदितयशाजी ने पैंसठिया यंत्र की रचना का महत्व बताते हुए कहा - हम जो भी बोलते हैं उसकी एक आकृति बनती है। सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों का प्रभाव एवं क्षेत्र आकृति के आधार पर बनता है। लोगस्स एवं पैंसठिया यंत्र में साम्यता है। चौबीस तीर्थंकरों के पच्चीस नाम वहां है इसी अंक को संभवत: ध्यान में रख कर इस की कल्पना की गई है। दोनों में 7-7 पद है। लोगस्स भी एक शक्तिशाली मंत्र है। साध्वी संगीतप्रभाजी, साध्वी भव्ययशाजी एवं साध्वी शिक्षाप्रभा जी ने मंत्रों के द्वारा साधकों को ध्यान का प्रयोग करवाया।