मंत्र ध्वनियों से ध्वनित हुआ आकाश मंडल
साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य ज्योति पुंज अलौकिक जप अनुष्ठान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वी वृन्द द्वारा नवकार महामंत्र से हुआ।साध्वीश्री ने कहा - आगम ग्रंथों की चूलिकाओ में मंत्र व यंत्रों का प्रयोग मिलता है तथा अनेक जैन आचार्यों ने अपनी साधना काल के समय मंत्रों का प्रयोग किया, उन्हें सिद्ध किया तथा समय आने पर अपना प्रयोजन भी सिद्ध किया। तेरापंथ धर्म संघ के चतुर्थ आचार्य जयाचार्य ने पुष्य नक्षत्र में विघ्न उपस्थित होने पर अपने गुरु व इष्ट का स्मरण किया स्तवना व स्तुति के द्वारा उसका निवारण किया। श्रेष्ठ समय व श्रेष्ठ नक्षत्र में किया गया कार्य शुभ व अक्षय फलदायी होता है, वह हमारे मनोरथ को पूर्ण करने वाला होता है। इस अवसर पर बैंगलोर से समागत जैन संस्कारक जितेन्द्र घोषल, विक्रम दूगड, अरविंद बैद ने स्वर विज्ञान, मुद्रा योग तया यंत्र के साथ मंत्रों का प्राण ऊर्जा के साथ उच्चारण कर पूरे वातावरण को मंगल ध्वनियों से गुंजायमान बना दिया।
साध्वी मार्दव श्रीजी ने कहा - शांति की चाह रखने वाले को अपने चारों तरफ मंत्र व ध्वनियों से सशक्त शुभ आभामंडल का निर्माण करना होता है जिससे शुभ परमाणुओं को आकर्षित करने का सामर्थ्य बढ़ जाता है, जीवन मंगलमय बन जाता है। इस अनुष्ठान का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद् मंड्या के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम में महिला मंडल, कन्या मंडल व सभा की सक्रिय भूमिका रही। अनुष्ठान में लगभग 130 श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही। तेयुप मंड्या ने पधारे हुए संस्कारकों को सम्मानित किया।