प्रायश्चित और प्रतिक्रमण हैं शुद्धि के साधन : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

प्रायश्चित और प्रतिक्रमण हैं शुद्धि के साधन : आचार्यश्री महाश्रमण

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी सन् 2024 का सूरत का ऐतिहासिक चतुर्मास भगवान महावीर यूनिवर्सिटी में संपन्न कर उपनगरों मे भ्रमण करते हुए महावीर संस्कार धाम, जहांगीरपुरा पधारे। यहां सूरत वासियों की ओर से पुण्य पुरुष का मंगल भावना समारोह आयोजित किया गया। इसी के साथ दायित्व हस्तांतरण कार्यक्रम के अंतर्गत मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति भुज ने पूज्य प्रवर की आगामी यात्रा का दायित्व भी ग्रहण किया। महावीर के प्रतिनिधि ने अमृत देशना प्रदान कराते हुए फरमाया कि दसवेंआलियं एक आगम है, उसमें दस अध्ययन व दो चूलिकाएं भी हैं। दसवेंआलियं साधु संस्था के लिए काफी मार्गदर्शक शिक्षाप्रद आगम है। यह आगम बहुत ही महत्वपूर्ण और दैनंदिन जीवन से जुड़ा आगम हो जाता है। चारित्रात्माओं को इसका स्वाध्याय निरंतर करते रहना चाहिए। यह आगम हमारा सहचर, नैकट्य वाला बन जाए।
मूल पाठ के साथ अर्थ भी ध्यान में रहना चाहिए। आवश्यक से भी हमारी शुद्धि हो सकती है। प्रतिक्रमण हमारा दोनों समय बढ़िया होता रहे। णमोत्थुणं व पंच पद वन्दना को मुहुर्त बाद भी लिया जा सकता है। पक्खी आदि में चार लोगस्स का पाठ पहले कर लें, मुहुर्त बाद पूरा दुबारा भी किया जा सकता है। प्रतिक्रमण का मतलब है, विभाव से स्वभाव में आ जाना। प्रायश्चित लेने वाले में सरलता और देने वाले में निष्पक्षता और गंभीरता होनी चाहिए। प्रायश्चित और प्रतिक्रमण शुद्धि के साधन हैं। चतुर्दशी के अवसर चारित्रात्माओं को प्रेरणा प्रदान कराते हुए पूज्य प्रवर ने फरमाया कि गोचरी करके आते ही चउवीसत्थव भी कर लेना चाहिए। तेरह नियम - पांच महाव्रत, पांच समिति और तीन गुप्ति मुख्य हैं। हम अपनी मर्यादाओं के प्रति जागरूक रहें, यह काम्य है। चारित्रात्माओं ने लेख पत्र का समुच्चारण किया।
मुमुक्षु केविन संघवी ने अपनी भावना श्री चरणों में अभिव्यक्त की। पूज्यवर ने भुज में यथा संभवतया 7 फरवरी 2025 को मुमुक्षु केविन को जैन मुनि दीक्षा प्रदान करने की घोषणा करवाई। आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि आज महावीर संस्कार धाम आना हुआ है। चातुर्मास भगवान महावीर यूनिवर्सिटी में हुआ और यह विदाई के क्षणों में महावीर धाम है। भगवान महावीर हमारे परम आराध्य है, हम सबके मन में बसे रहे। एक तरफ संपन्नता का प्रसंग है तो दूसरी ओर आरम्भ का समय है। सूरत समाज में धर्माराधना बढ़ती रहे। सद्भावना, नैतिकता के गुणों से समाज संस्कारवान बनता रहे।
पूज्यवर के स्वागत में महावीर संस्कार धाम ट्रस्ट से बाबूलाल मांडोत एवं रमेशकुमार बोल्या ने अपने विचार व्यक्त किए। सूरत चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष संजय सुराणा ने आचार्य प्रवर के प्रति मंगल भावना व्यक्त की। भुज मर्यादा महोत्सव समिति के अध्यक्ष कीर्तिभाई संघवी ने अपने विचार रखे। दायित्व हस्तांतरण कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, सूरत के अध्यक्ष संजय सुराणा सहित पदाधिकारियों ने भुज मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति 2025 के पदाधिकारियों को जैन ध्वज सौंप कर दायित्व का हस्तांतरण किया। गांधीधाम प्रवास का लोगो भी इस अवसर पर गुरुचरणों में लोकार्पित किया गया। गांधीधाम से बाबूलाल सिंघवी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।