भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन
तेरापंथ युवक परिषद बेंगलुरु (तेयुप) द्वारा भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन साध्वी उदितयशा जी ठाणा-4 के सान्निध्य में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी उदितयशा जी द्वारा मंगल मंत्रोच्चार के साथ हुई। साध्वी श्री ने कहा कि भिक्षु का नाम और उनके विचारों की गहराई को समझ पाना आसान नहीं है। उनका दर्शन तभी समझ में आ सकता है, जब हमारी भावना और चिंतन निर्मल हो। भिक्षु वह है जो अपनी बुद्धि और प्रज्ञा को साधना के शिखर तक पहुंचाते हैं। आचार्य भिक्षु ने अपनी साधना से आदर्श स्थापित किए और भगवान की वाणी के अनुसार अपने आचरण को शुद्ध किया। भिक्षु विचार दर्शन को समझना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यही हमारे धर्म का आधार है। जब हमारी श्रद्धा सुदृढ़ होती है, तो आस्था का स्तंभ भी स्थिर होता है। भिक्षु के विचारों का अनुसरण करना हमें सच्ची निष्ठा के मार्ग पर ले जाता है। निष्ठा का जागरण तभी संभव है, जब श्रद्धा मजबूत हो, क्योंकि श्रद्धा ही सबसे बड़ा धन है। जिसके पास भगवान की आज्ञा के प्रति श्रद्धा नहीं है, वही सच्चे अर्थ में दरिद्र है। भिक्षु के दर्शन को समझकर और उस पर निष्ठा स्थिर करके ही हम सच्ची साधना के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं।
साध्वी संगीतप्रभा जी ने ‘निर्जरा की अनुप्रेक्षा’ करवाई। साध्वी भव्ययशा जी एवं साध्वी शिक्षाप्रभा जी ने गीतिका का संगान किया। बहन सीमा और खुशबू ने संवाद प्रस्तुत कर कार्यक्रम को रोचक बना दिया। विजय गीत का संगान मंत्री राकेश चोरड़िया ने किया, तत्पश्चात महासभा आंचलिक प्रभारी प्रकाश लोढ़ा ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। अभातेयुप से भिक्षु दर्शन कार्यशाला के राष्ट्रीय सह प्रभारी राकेश पोखरणा, शाखा प्रभारी अमित दक, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष विमल धारीवाल, पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता तथा धर्मानुरागी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। संचालन एवं आभार तेयुप मंत्री राकेश चोरड़िया ने किया।