भाग्योदय का विज्ञान : स्वर विज्ञान

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भाग्योदय का विज्ञान : स्वर विज्ञान

आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि सुधाकर जी के सान्निध्य में इंदर चंद बिमला देवी पारख परिवार द्वारा विशेष कार्यशाला का आयोजन ‘भाग्योदय का अद्भुत विज्ञान : स्वर विज्ञान’ विषय आधारित रायपुर के यूफोरिया अपार्टमेंट, मोवा में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विशेष रूप से रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल सपत्नीक उपस्थित हुए। मुनि सुधाकर जी ने उपस्थित जनमेदिनी को संबोधित करते हुए कहा कि स्वर विज्ञान प्राचीन शास्त्रों में उल्लेखित है। स्वर विज्ञान हमारी श्वास से संबंधित है, हम जो श्वास लेते व छोड़ते हैं उसका भी अपना अद्भुत व महत्वपूर्ण विज्ञान है परंतु हमें यह भी विशेष रूप से जान लेना चाहिए कि यह अत्यन्त गोपनीय विज्ञान है संभवतः इसका क्रमबद्ध विवेचन हमें कही भी प्राप्त नहीं होता।
मुनिश्री ने आगे बताया कि हमारे शरीर में अनेक नाड़ियां है उसमें भी तीन अति महत्वपूर्ण है जो कि हमारी श्वास से संबंधित है। श्वास दो तरह की होती है- चंद्र व सूर्य। मुनिश्री ने मार्गदर्शित करते हुए बताया कि स्वर विज्ञान में वार का भी अपना महत्व है जैसे सोमवार, बुधवार, गुरुवार व शुक्रवार को चंद्र स्वर व मंगलवार, शनिवार व रविवार को सूर्य स्वर में हमें कोई भी कार्य का प्रारंभ करना चाहिए जिससे हमें लाभ होगा। मुनिश्री ने स्वर विज्ञान को समझने के कई प्रयोग भी उपस्थित जनता को करवाते हुए उन्हें पहचानने के उपाय बताए। मुनिश्री ने कहा कि श्वास भर कर कोई भी कार्य प्रारंभ करना चाहिए न कि निकालते हुए।
स्वर विज्ञान के ज्ञान से हम अनेक व्याधियों का उपचार करते हुए सुख सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। मुनिश्री ने कहा कि श्वास का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि कि श्वास है तब तक ही आश है। मुनि नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। विशेष अतिथि बृजमोहन अग्रवाल ने कि जिस दौर में बच्चे मोबाईल, महिलाएं टीवी सीरियल, युवा लैपटॉप व प्रौढ़ चिंता में व्यस्त हैं उस दौर में मुनिश्री ने रायपुर की धर्म धरा में चार माह जो धर्म की गंगा बहाई है वह अनुमोदनीय है। उन्होंने ने मुनिश्री के संयम जीवन के आध्यात्मिक प्रगति की मंगलकामना की।