समय और श्रम का संयोजन करते हुए जीवन को बनाएं साधनामय
साध्वी मंगलप्रज्ञाजी सप्त दिवसीय मालाड प्रवास के बाद सहवर्ती साध्वी वृंद के साथ गोरेगांव पहुंचीं। इस अवसर पर तेरापंथ सभा भवन में भव्य स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया। मालाड तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष जयन्ती मादरेचा ने मालाड तेरापंथ समाज की ओर से साध्वीश्री के प्रति आभार व्यक्त किया और उनकी आगामी विहार यात्रा की मंगलकामनाएं प्रेषित की। तेरापंथ सभा गोरेगांव के अध्यक्ष अशोक चौधरी और तेयुप अध्यक्ष सुमित चौरड़िया ने साध्वी वृंद का अभिनंदन करते हुए अधिकाधिक प्रवास की प्रार्थना की। साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि कांदिवली चातुर्मास के दौरान मालाड, गोरेगांव और बोरिवली-दहिसर क्षेत्र में हर गतिविधि में समाज की सराहनीय सहभागिता रही। उन्होंने इस जागरूकता को बनाए रखने का आह्वान किया। साध्वीश्री ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें जिन शासन में साधना का अवसर मिला है। भिक्षु शासन को देखने का सौभाग्य और वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमणजी की पवित्र आभा में आनंद का अनुभव हो रहा है। संघ की गरिमा को बढ़ाने में हम सभी को सहयोगी बनना चाहिए। समय और श्रम का संयोजन करते हुए अपने जीवन को साधनामय बनाना आवश्यक है।
साध्वीश्री ने परिषद् को प्रेरित करते हुए कहा, हर घड़ी में कम से कम दो मिनट निकालकर सामायिक साधना अवश्य करनी चाहिए। कई श्रद्धालुओं ने सामायिक करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर साध्वी राजुलप्रभाजी ने मनुष्य जन्म की महत्ता को दर्शाते हुए एक मधुर गीत का संगान किया। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी ने ध्यान का अभ्यास करवाकर उपस्थित जनसमुदाय को शांतिपूर्ण अनुभव प्रदान किया।