परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

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परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि दीपकुमारजी ने नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण एवं भगवान महावीर स्वामी की स्तुति के साथ 'रिश्तों की डोर - न हो कमज़ोर : परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला' का प्रारम्भ स्थानीय तेरापंथ भवन में किया। परिवार को स्वर्ग से सुंदर बनाने की प्रेरणा देते हुए मुनि श्री ने कहा - प्रेम है तो परिवार है। परिवार के सभी सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। एक दूसरे का हाथ बढ़ाने से परिवार में शान्ति बनी रहती है। माता-पिता की सेवा कर उन्हें चित्त समाधि पहुँचाने का प्रयास करें। परिवार के विभिन्न रिश्तों को मजबूती प्रदान करें। रहना सीखे, सहना सीखे और मौके पर कहना सीखे, तभी परिवार खुशहाल होगा। मुनि काव्यकुमारजी ने अहंकार विषय पर अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। श्रावक एवं श्राविका समाज की अच्छी उपस्थिति रही।