भगवान पार्श्वनाथ जयंती पर उपसर्गहर स्तोत्र का अनुष्ठान

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भगवान पार्श्वनाथ जयंती पर उपसर्गहर स्तोत्र का अनुष्ठान

अणुविभा, जयपुर। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासनगौरव' बहुश्रुत साध्वी कनकश्रीजी के सान्निध्य में जैन शासन के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की जन्म जयंती पर उपसर्गहर स्तोत्र के 108 पाठ का अनुष्ठान अणुविभा केन्द्र जयपुर में संपन्न हुआ। जिसमें 27 जोड़ों सहित 108 आराधकों ने भाग लिया। साध्वी मधुलता जी, साध्वी समितिप्रभा जी, साध्वी संस्कृतिप्रभा जी ने समस्त जनमेदिनी को बीजमंत्र की एक माला के साथ शक्तिवर्धक, ऊर्जादायक, रोग-शोक-विघ्नबाधा निवारक, महान प्रभावक उपसर्गहर स्तोत्र का एकलय, एकस्वर अनुष्ठान संपन्न करवाया। अनुष्ठान में संभागी साधकों, आराधकों ने अपूर्व ऊर्जा, शांति और आनंद का अनुभव किया।
साध्वी मधुलता जी ने भगवान पार्श्वनाथ को पुरूषादानीय बताते हुए कहा - जैनशासन के 24 तीर्थंकरों में भगवान पार्श्वनाथ के प्रति श्रद्धालुओं में अतिरिक्त श्रद्धा के भाव देखे जाते हैं। वर्तमान में सर्वाधिक मंदिर, स्तोत्र, स्तुतियां भगवान पार्श्वनाथ की उपलब्ध होती है। तेरापंथ युवक परिषद जयपुर एवं तेरापंथ महिला मंडल जयपुर शहर के संयुक्त तत्वाधान में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। तेरापंथी सभा जयपुर के मंत्री सुरेन्द्र सेखानी, तेरापंथ युवक परिषद जयपुर के अध्यक्ष गौतम बरड़िया, उपाध्यक्ष प्रवीण जैन, तेरापंथ महिला मण्ड़ल जयपुर शहर की अध्यक्षा नीरू मेहता की उपस्थिति के साथ-साथ अनेक सभा संस्थाओं के पदाधिकारी और कार्यकर्तागण उपस्थित रहे। कार्यक्रम की सफलता में सौरभ जैन, राकेश जैन, चंचल दुगड, एकता बरिड़या का सहयोग उल्लेखनीय रहा। तेरापंथी सभा जयपुर के उपाध्यक्ष सुरेश बरड़िया ने साध्वीश्री एवं सभागत श्रावक-श्राविकाओं के प्रति आभार ज्ञापन किया। तेयुप जयपुर के आह्वान पर उपस्थित श्रावक-श्राविका समाज ने उपवास, एकासन, आयंबिल आदि त्याग प्रत्याख्यान किये।