आध्यात्मिक मिलन समारोह हुआ संपन्न
आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या, 'शासनश्री' साध्वी सुमनप्रभाजी और साध्वी संगीतश्रीजी का रोहतक में आध्यात्मिक मिलन बड़े ही भव्य और आनंदमय वातावरण में संपन्न हुआ। साध्वी संगीतश्रीजी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा - आज मुझे साध्वीश्री से मिलकर अपार प्रसन्नता हो रही है। आपका स्नेह और वात्सल्य पाकर हम अपने भीतर आनंद और नई ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं। हमारा यह मिलन नारंगी के बजाय खरबूजे के समान है। नारंगी बाहर से एक जैसी दिखती है, लेकिन अंदर अलग होती है, जबकि खरबूजा बाहर से भले ही अलग-अलग लकीरों वाला दिखे, पर भीतर से एक जैसा होता है। इसी प्रकार, तेरापंथ धर्मसंघ में सभी एकता के सूत्र में बंधे हुए हैं। आज माईतों के पास आकर हमारी सारी थकान मिट गई है। साध्वी सुमनप्रभाजी की सरलता, सहजता और श्रमशीलता अद्वितीय है। उनका वात्सल्य हमेशा बना रहे।
'शासनश्री' साध्वी सुमनप्रभाजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा - आज साध्वी संगीतश्रीजी से मिलकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। साध्वीश्री श्रमशील और तपस्वी साध्वी हैं। आपने दिल्ली के शाहदरा में सफलतम चातुर्मास संपन्न किया और अपनी प्रभावशाली वाणी एवं प्रवचन शैली से जन-जन में नई जागृति लाई। तप, त्याग और सेवा के माध्यम से आपने समाज में प्रेरणा फैलाई है। आपका सहज और सरल व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली है। साध्वी सुरेखाश्रीजी और अन्य साध्वियों ने गीत से स्वागत किया। साध्वी शांतिप्रभाजी और अन्य साध्वियों ने मधुर गीत के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। इस अवसर पर पूर्वी दिल्ली, भिवानी और अन्य क्षेत्रों से भाई-बहन उपस्थित थे।
दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, उपाध्यक्ष बाबूलाल जैन, रणजीत जैन, अशोक जैन, पवन जैन और शाहदरा के अध्यक्ष राजेंद्र जैन सहित अन्य श्रावकों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। महिला मंडल की अध्यक्ष वंदना जैन और रोहतक सभा अध्यक्ष डॉ. आर. बी. जैन ने साध्वीश्री का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन लोकेश जैन ने किया।