23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक दिवस पर
'शासनश्री' साध्वी मधुरेखाजी के सान्निध्य में जयपुर के निर्माण नगर में भगवान पार्श्वनाथ की जन्म जयंती का कार्यक्रम उत्साह के साथ मनाया गया। जन्म जयंती के अवसर पर 27 दिनों तक प्रतिदिन 1 घंटा जप अनुष्ठान रखा गया जिसमें लगभग 175 भाई-बहनों ने भाग लिया। भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति में साध्वी वृंद ने सामूहिक गीत का संगान किया। साध्वीश्री ने उपसर्गहर स्तोत्र का अनुष्ठान करवाया। साध्वी मधुरेखा जी ने कहा- भगवान पार्श्व का अवतरण मानव जाति के कल्याण के लिए हुआ। उन्होंने दग्ध होते नाग-नागिन को नमस्कार महामंत्र सुनाया, वे संसार में धरणेन्द्र-पद्मावती के नाम से प्रख्यात हैं। भगवान पार्श्व के नाम स्मरण से कष्ट व उपद्रव दूर हो जाते हैं। इसका प्रमाण है उपसर्गहर स्तोत्र। इस स्तोत्र का स्मरण करते ही चित्त समाधि की अनुभूति होती है।