मुनिश्री का तप बना कीर्तिमान

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मुनिश्री का तप बना कीर्तिमान

इंदौर
उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि मुनि नमिकुमार जी को दीक्षित हुए अभी साढ़े पाँच वर्ष भी पूरे नहीं हुए और इतने मासखमण और 15 तक की लड़ी पूर्ण करना बहुत बड़े साहस की बात है। गत बैंगलुरु चातुर्मास में तीन मासखमण व इस चातुर्मास में 62 दिन की तपस्या के बाद 27 दिन का तप करना बहुत बड़ी बात है। यह सब गुरु कृपा से ही संभव हो पाया है। व्यक्‍ति को ज्यों-ज्यों अवस्था आती है शरीर में पौष्टिक पदार्थों की आवश्यकता होती है। परंतु मैं देख रहा हूँ कि मुनि नमिकुमार जी जाप, ध्यान, स्वाध्याय श्रवण करते हुए पूर्ण स्वावलंबी रहने का प्रयास कर रहे हैं। मुनिश्री की तपस्या के चर्चा सुनकर सबको आश्‍चर्य होता है कि इस अवस्था में इस प्रकार का तप क्षयोपशम बिना संभव नहीं है। मुनिश्री की तपस्या सुन जयमल जी संप्रदाय के आगम ज्ञाता तत्त्वज्ञानी मुनि सुमति कुमार जी, डॉक्टर जयघोष मुनि सुखसाता पूछने एवं तब अनुमोदन के लिए पधारे। श्रमण संघ के अभिग्रहधारी तपस्वी राजेश मुनि जी, चेतन मुनि जी भी पधारे। आगंतुक सभी संत मुनिश्री के मनोबल धृतिबल को देखकर बाग-बाग हो गए। मुनि कमल कुमार जी स्वामी ने बताया कि इस प्रकार की तपस्या करने वाले संत केवल महाश्रमण जी के शासनकाल में ही प्रथम नहीं बल्कि कई आचार्यों के शासनकाल में दुर्लभ हैं। मुनि अमन कुमार जी भी कुछ दिनों से एकांतर तप कर रहे हैं।