पेरेंटिंग केवल बच्चों का पालन-पोषण करना ही नहीं स्वयं का विकास भी है

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पेरेंटिंग केवल बच्चों का पालन-पोषण करना ही नहीं स्वयं का विकास भी है

तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम, जोधपुर के तत्वावधान में तेरापंथ भवन, अमर नगर में एक दिवसीय प्रोफेशनल पेरेंटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य पेरेंटिंग को एक कला और जिम्मेदारी के रूप में प्रस्तुत करना था, जो बच्चों के शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास में सहायक हो।
कार्यक्रम के मुख्य प्रायोजक निर्मल कनक बैद परिवार थे। कार्यक्रम संयोजिका अंकिता बैद ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ टीपीएफ जोधपुर के सदस्यों द्वारा मंगलाचरण से हुआ।
टीपीएफ अध्यक्ष महेंद्र मेहता ने समागत सभी अतिथि, प्रायोजक परिवार और श्रोताओं का स्वागत किया। मुख्य अतिथि के रूप में एमबीएम यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार दलवीर डड्ढा, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जोधपुर के एजुकेशन डायरेक्टर प्रदीप पगारिया और वसुंधरा हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉ. रेनु मकवाना ने अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का आयोजन आचार्य महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी प्रमोदश्रीजी और समणी विपुलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में हुआ।
साध्वी प्रमोदश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का युग भौतिकता और तकनीकी प्रगति से भरा है, जिसमें हमारे मूल्य और संस्कार कहीं पीछे छूट रहे हैं। माता-पिता का दायित्व है कि व बच्चों के साथ समय बिताएं और उन्हें सही दिशा दें।
समणी विपुलप्रज्ञा जी ने अपने उद्बोधन में कुछ माताएं अपने बच्चों के खाने का बहुत ध्यान रखती तो कुछ उनकी शिक्षा का तो कुछ उनके पहनावे का परंतु आज समय सिर्फ एक पक्ष से पोषण का नहीं है आज बच्चों को अनेक पक्ष को साथ में रख कर पोषित करना होगा। उसके साथ-साथ अपने बच्चों को भी समय देना होगा उनकी भावनाओं को समझना होगा कि वे किस विषय में रुचि रखते हैं। सोशल मीडिया और मोबाइल टीवी पर स्वयं को भी सीमित करना होगा।
अपने समय को नियोजित कर के भूत-भविष्य और वर्तमान के बीच सामंजस्य बिठाए।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. अभिषेक पसारी ने 'पेरेंटिंग - एक कला और जिम्मेदारी' विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पेरेंटिंग केवल बच्चों का पालन-पोषण करना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा सफर है, जिसमें माता-पिता अपने बच्चों के साथ खुद भी विकसित होते हैं। उन्होंने बताया कि आज के समय में पेरेंटिंग की कोई मैनुअल नहीं होती, इसे अनुभव, धैर्य और समझ से अपनाया जाता है। डॉ. पसारी ने बच्चों और अभिभावकों के विकास के लिए 5210 नियम को आदर्श मॉडल बताया।
nदिनभर के भोजन में 5 प्रकार की सब्जियाँ और फल शामिल करें।
nस्क्रीन टाइम को 2 घंटे तक सीमित रखें।
nरोजाना 1 घंटे की बाहरी गतिविधि सुनिश्चित करें।
nअतिरिक्त चीनी का सेवन पूरी तरह
बंद करें।
उन्होंने कहा कि इस नियम को अपनाकर न केवल स्वास्थ्य बेहतर किया जा सकता है, बल्कि उनका मानसिक और नैतिक विकास भी सुनिश्चित किया जा सकता है। इस अवसर पर टीपीएफ सेंट्रल जोन के सचिव मिलाप चोपड़ा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नरेश सिंघवी, तेरापंथ सभा सरदारपुरा के अध्यक्ष सुरेश जीरावाला, तेरापंथ सभा जाटाबास अध्यक्ष मूलचंद तातेड़ एवं अन्य संस्थाओं के पदाधिकारी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का कुशल संचालन टीपीएफ जोधपुर के मंत्री निखिल मेहता ने किया और आभार ज्ञापन सहमंत्री निधि सिंघवी ने किया।
फेमिना विंग कन्वीनर अंकिता बैद और उनकी टीम के सहयोग से आयोजन सफल रहा।