व्यक्तित्व विकास के लिए निर्मलता तेजस्विता जरूरी
बोलारम
तेरापंथ भवन में नवरात्रि अनुष्ठान की संपन्नता पर साध्वी काव्यलता जी ने कहा कि व्यक्तित्व विकास की पहली कामना हैनिर्मलता। चंद्रमा से अधिक मेरी निर्मलता सिद्ध हो। प्रार्थना करें मैं निर्मल बनूँ। निर्मलता के विकास के लिए हमें ज्योति केंद्र पर सफेद रंग का ध्यान श्रेष्ठ होता है। व्यक्तित्व विकास का दूसरा अमृत है तेजस्विता। सूर्य से ज्यादा हम तेजस्वी बनें। सूर्य के प्रकाश जैसा प्रकाश हमारे भीतर आता है तो हमारा व्यक्तित्व प्रकाशमय बन सकता है। तेजस्विता के लिए हमने नवरात्रि में अनेक प्रकार के जप मंत्रों की साधना की। उस शक्ति को हम सुरक्षित रखें। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा दमयंति सुराणा, श्राविका बबिता कात्रेला ने साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। साध्वी ज्योतियशा जी, साध्वी सुरभिप्रभा जी ने मधुर स्वरों से मंत्र शक्ति के विविध प्रयोग
करवाए।