
तेरापंथ को 'मेरापंथ' बनाने के लिए आवश्यक है समर्पण
मुनि रणजीत कुमार जी एवं मुनि जयकुमार जी के सान्निध्य में 161वें मर्यादा महोत्सव का भव्य आयोजन ऋषभ द्वार प्रांगण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से हुआ। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने भक्ति-भाव से ओतप्रोत गीतिका का सुमधुर संगान किया। मुनि रणजीत कुमार जी ने मर्यादा पत्र का वाचन करते हुए बताया कि यह मर्यादा पत्र आचार्य श्री भिक्षु द्वारा परिकल्पित एवं आचार्य श्री जयाचार्य द्वारा सुव्यवस्थित किया गया था, जिसे आचार्य श्री तुलसी ने विक्रम संवत 2017 में सरल भाषा में प्रस्तुत किया। मुनि जयकुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा— तेरापंथ को 'मेरापंथ' बनाने के लिए समर्पण, सहिष्णुता, विनम्रता और समता की भावना आवश्यक है। हमारा सौभाग्य है कि हमें चिंतामणि नंदनवन जैसा तेरापंथ धर्मसंघ प्राप्त हुआ है।
श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन तेरापंथ सभा के कोषाध्यक्ष महेंद्र बाफना द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संयोजन मुनि कौशल कुमार जी ने कुशलता से किया। इस अवसर पर उपासिका डॉ. सुशीला बाफना, तेरापंथ सभा के मंत्री राकेश कोचर, तेयुप अध्यक्ष सुमित मोदी, मंत्री राजेश बोहरा, अणुव्रत समिति लाडनूं के परामर्शक शांतिलाल बैद, ज्ञानशाला मुख्य प्रशिक्षिका सपना भंसाली, टीपीएफ अध्यक्ष शोभन कोठारी एवं जैन विश्व भारती के सचिव विजय शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन में तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद, महिला मंडल, ज्ञानशाला सहित विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी, कार्यसमिति के सदस्य एवं बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं की सहभागिता रही।