आत्मकल्याण का मार्ग है संथारा

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गंगाशहर।

आत्मकल्याण का मार्ग है संथारा

गंगाशहर। उग्रविहारी तपोमुर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में कमलादेवी भूरा की स्मृति सभा का आयोजन किया गया। मुनिश्री ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गंगाशहर में मात्र 20 दिनों में कई संथारे हो गए। कमलादेवी का संथारा भले ही अल्पकालिक रहा, लेकिन अत्यंत प्रभावशाली था। स्व. साध्वी इलाकुमारी जी की भाभी एवं मांगीलाल जी भूरा की पत्नी ने जीवनभर सेवा, सामायिक, प्रवचन और पात्रदान का लाभ लिया। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय में संथारा करके आत्मकल्याण के साथ परिवार व धर्मसंघ की गरिमा को बढ़ाया। कार्यक्रम में मुनि सुमतिकुमार जी, मुनि श्रेयांसकुमार जी और मुनि विमलविहारी जी ने अपने वक्तव्यों के माध्यम से उनके अनेक गुणों को स्मरण करते हुए उनके उत्तरोत्तर विकास की मंगलकामना की। कार्यक्रम में सभा के मंत्री जतन संचेती, डॉ. केदारनाथ, डॉ. रश्मि पुगलिया, मालचंद भूरा, मोहन भूरा और संगीता डागा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में एक लोगस्स का सामूहिक ध्यान कर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।