
मर्यादा- महोत्सव ऐतिहासिक दस्तावेज
साध्वी कनकरेखाजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्वावधान में 161वां मर्यादा महोत्सव भव्य रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीवृंद के मर्यादा संगान की सुमधुर स्वर लहरियों के साथ हुआ। लुधियाना क्लब हाउस का विशाल हॉल श्रद्धालुओं की अपार उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहा था।
साध्वीश्री ने अपने वक्तव्य में श्रद्धालु परिषद को संबोधित करते हुए कहा— 'आचार्य भिक्षु ने आचार शिथिलता के निषेध हेतु धर्मक्रांति की, जिसका आधार बनी मर्यादा। इस मर्यादा पथ का अनुसरण करते हुए श्रद्धालुजन आज भी अभिभूत हो रहे हैं।' उन्होंने आगे कहा— 'एक आचार, एक विचार, और एक आचार्य की कुशल अनुशासना से तेरापंथ का यह पुष्पित-पल्लवित चमन खिला हुआ है। इस धर्मसंघ में हम देख रहे हैं कि लोकतंत्र में एकतंत्र की मर्यादा एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य कर रही है।' मर्यादाओं की विभिन्न धाराओं का विश्लेषण करते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान में तेरापंथ धर्मसंघ के यशस्वी एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की आज्ञा में 750 से अधिक साधु-साध्वियाँ साधना कर
रहे हैं। आचार्य भिक्षु ने मर्यादाओं की स्थापना कर धर्मसंघ को सुदृढ़ किया, और जयाचार्य ने इसे एक ऐतिहासिक उत्सव के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। अनुशासन, समर्पण, श्रद्धा, व्यवस्था, आज्ञा व मर्यादा— इन सभी तत्वों का समावेश इस अभिनव उत्सव में देखा जा सकता है। इस अवसर पर साध्वी गुणप्रेक्षाजी ने सेवा, संस्कार व संगठन के साथ वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मर्यादा के महत्व पर प्रकाश डाला। साध्वी संवरविभाजी एवं साध्वी हेमंतप्रभाजी ने भी अपने प्रेरणादायी विचार रखे।
महिला मंडल की अनूठी सिंपोजियम प्रस्तुति, पुण्य एक्शन, स्वर संगान, ज्ञानशाला संघ सेनानी की लघु नाटिका, गीत आदि सरस व रोचक प्रस्तुतियों ने पूरी परिषद को भाव-विभोर कर दिया। कार्यक्रम में सभाध्यक्ष धीरज सेठिया, तेयुप अध्यक्ष उज्जवल जैन, महिला मंडल अध्यक्ष इंदु सेठिया, दानमल पारख व सरोज कोचर ने अपने विचार व्यक्त किए। लुधियाना की उपासिका बहनों एवं गायिका साधना प्रिया श्यामसुखा ने सुमधुर गीत की प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन राजेश बैद द्वारा प्रस्तुत किया गया।