तपस्या का मुख्य लक्ष्य हो कर्म निर्जरा

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तपस्या का मुख्य लक्ष्य हो कर्म निर्जरा

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में मुनि श्रेयांस कुमार जी व मुनि नमि कुमार जी की तपस्या का वर्धापन किया गया। मुनि कमल कुमार जी ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि मुनि श्रेयांस कुमार जी ने चंद दिनों में तीन थोकड़े कर नए इतिहास का सृजन किया है। मुनि नमि कुमार जी दीक्षित होने के बाद पहली बार गंगाशहर आए हैं। आज इनके 29 की तपस्या है। पूज्य गुरुदेव का भी संदेश प्राप्त हुआ कि मुनि नमि कुमारजी अपनी अनुकूलता के अनुसार आगे बढ़ सकते हैं इसलिए वे अब कुछ आगे बढ़ने की भावना प्रस्तुत कर रहे हैं। तपस्या में मुनि सुमति कुमार जी आदि संतों का महनीय सहयोग प्राप्त हुआ, जिससे मेरा कई क्षेत्रों में भ्रमण संभव हो सका। तपस्या का मुख्य लक्ष्य कर्म निर्जरा होना चाहिए, ताकि शिवपथ प्राप्त करने में विलंब न हो। मुनिश्री ने गीत के माध्यम से दोनों तपस्वियों का वर्धापन किया। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने 12 और मुनि नमि कुमार जी ने 30 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
मुनि सुमति कुमार जी ने दोनों तपस्वियों के मनोबल की प्रशंसा करते हुए कहा कि तपस्या से पुराने कर्मों का क्षय होता है। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुनिश्री का गंगाशहर आगमन सुनकर स्वतः भावना जागृत हुई कि मुनिश्री उग्रविहारी तपोमूर्ति हैं, व मेरे सह-दीक्षित हैं, अतः मैं उनका स्वागत तपस्या के माध्यम से करूं और 13, 12 और चोले की तपस्या हो गई। मुनि नमि कुमार जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि परम पूज्य गुरुदेव की असीम कृपा से मुझे इस उम्र में दीक्षा प्राप्त हुई। मेरे अग्रगण्य मुनि कमल कुमार जी की प्रेरणा से मैं तपस्या के मार्ग पर अग्रसर हुआ। कार्यक्रम में मुनि विमलविहारी जी, मुनि प्रबोधकुमार जी, मुनि देवार्यकुमार जी, मुनि आगमकुमार जी, मुनि मुकेशकुमार जी आदि संतों ने मुनि द्वय के साहस और तपस्या की भूरी-भूरी अनुमोदना की। सैकड़ों भाई-बहनों ने सामायिक के बेले, सौ से अधिक उपवास किए और कई परिवारों ने दश-पचखाण करके तपस्या की अनुमोदना की।