
प्रस्तावित तेरापंथ भवन की भूमि पर संतों का पदार्पण
शिवा बस्ती में प्रस्तावित तेरापंथ भवन हेतु भूमि दान करने और भवन निर्माण की घोषणा करने वाले पूनमचंद मंजूदेवी बोथरा परिवार के प्रति विचार व्यक्त करते हुए उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी ने कहा कि जो व्यक्ति अपने समाज के लिए सोचता है और कार्य करता है, वह अपने कर्तव्य को पूर्ण करता है।
मुनिश्री ने कहा कि गंगाशहर के श्रावक-श्राविकाओं में सेवा भावना अत्यंत प्रबल है। गंगाशहर सेवा केंद्र में विराजित साध्वियाँ भी यही कहती हैं कि यहाँ किसी भी चीज़ की कमी नहीं है, सब कुछ गुरुदेव के प्रताप से ही संभव है। उन्होंने कहा कि गंगाशहर की भूमि सेवा भावना से ओत-प्रोत है।
मुनि श्री ने आगे कहा कि पूर्णिमा का यह दिन विशेष है क्योंकि यह उनके और मुनि श्रेयांस कुमार जी के दीक्षा दिवस की वर्षगांठ का दिन है। उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि दोनों ने एक साथ संयम जीवन धारण किया था। इस अवसर पर मुनि श्रेयांस कुमार जी ने एक विशेष कविता का संगान किया। मुनिश्री ने शिवा बस्ती में प्रस्तावित तेरापंथ भवन के लिए भूमि दान पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि वर्षों से इस क्षेत्र के श्रावकों में भवन के निर्माण की भावना थी, जिसे पूनमचंद मंजूदेवी बोथरा परिवार ने साकार किया। उन्होंने कहा कि जो सुख शांति से प्राप्त होता है, वह किसी भी भौतिक पदार्थ से संभव नहीं है।
मुनि सुमति कुमार जी ने संयमित और असंयमित जीवन के अंतर को समझाते हुए कहा कि संयमित जीवन की महिमा अपार है। उन्होंने मुनि कमल कुमार जी और मुनि श्रेयांस कुमार जी स्वामी के दीक्षा दिवस पर मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं।
प्रोफेसर धनपत जैन ने पूनमचंद बोथरा परिवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि केवल वीर पुरुष ही इतना बड़ा विसर्जन कर सकते हैं।
तेरापंथी महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़ ने भी पूनमचंद बोथरा परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि यह भवन लंबे समय से शिवा बस्ती के तेरापंथी अनुयायियों की मांग थी, जिसे साकार होते देखना हर्ष का विषय है।
तेरापंथी सभा गंगाशहर के निवर्तमान अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी से प्राप्त संदेश का वाचन किया और बोथरा परिवार को बधाई देते हुए आभार व्यक्त किया। तेयुप के सहमंत्री एवं शिवा बस्ती निवासी मांगीलाल बोथरा ने भी तेरापंथी सभा और पूनमचंद बोथरा परिवार के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
पूनमचंद बोथरा ने इस निर्णय का श्रेय अपनी पत्नी मंजूदेवी बोथरा को दिया और उनके त्याग व भावना की सराहना की। उन्होंने अपने पुत्रों आसकरण एवं कमल बोथरा के समर्थन का उल्लेख करते हुए जैन लूणकरण छाजेड़ और मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। कार्यक्रम का संचालन सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ने किया।