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णमोत्थुणं अनुष्ठान का हुआ भव्य आयोजन
'शासनश्री' साध्वी सत्यवतीजी के सान्निध्य में णमोत्थुणं अनुष्ठान का आयोजन किया गया। साध्वीश्री ने कहा यह एक तीर्थंकर स्तुति है जो इन्द्रों द्वारा की गई है। इस पाठ में सिद्ध, तीर्थंकर व केवलियों की स्तुति की गई है। इस स्तुति के माध्यम से हम लोक में फैली हुई अरिहन्तों की शुभतम तरंगें ग्रहण कर अपने अन्दर पवित्रता का विकास कर सकते हैं। साथ ही साथ यह आध्यात्मिक संपदा की और उत्थान करने का सफल उपक्रम भी है। इस स्तुति के तीन नाम है- प्रणिपात सूत्र, शक्र स्तव, णमोत्थुणं। संपूर्ण श्रावक-श्राविका समाज ने निष्ठा के साथ एकाग्र चित्त होकर आध्यात्मिक आनन्द की अनुभूति की।