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होली पर्व पर विविध कार्यक्रम
साध्वी पावनप्रभाजी ने होली उत्सव पर अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा - होली एक लौकिक पर्व माना जाता है, यह पर्व चतुर्दशी व पक्खी के साथ जुड़कर अध्यात्ममय बन जाता है। जैसे वस्त्रों के दाग व धब्बों को धोने के लिए रिमूवर, आला, ब्लीच आता है वैसे ही आत्मा के दोषों को, धब्बों को मिटाने का रिमूवर है प्रतिक्रमण। इस आध्यात्मिक अनुष्ठान के द्वारा हम खमतखामणा करके सब जीवों के साथ मैत्रीभाव रख सकते हैं, मैत्री का दीप जला सकते हैं। साध्वी आत्मयशाजी, साध्वी उन्नतयशाजी व साध्वी रम्यप्रभाजी ने 'होली का त्यौहार - रंगों का उपहार' सम्बन्ध में परिसंवाद की प्रस्तुति से रंगों के महत्व को प्रकट किया। पंच परमेष्ठी के पाँच रंगों से उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को आध्यात्मिक होली खिलाई। शासनमाता की स्मृति में साध्वीवृन्द के द्वारा सामूहिक सुमधुर गीत का संगान किया गया।