शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी की पुण्यतिथि पर विविध कार्यक्रम

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गंगाशहर

शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी की पुण्यतिथि पर विविध कार्यक्रम

उग्रविहारी तपोमुर्ति मुनि कमल कुमार जी के पावन सान्निध्य में बोथरा भवन में होली चातुर्मास एवं शासनमाता की पुण्यतिथि के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री ने कहा कि शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी एक उच्चकोटि की आत्म साधिका थी। उन्होंने तीन-तीन आचार्यों का गहरा विश्वास प्राप्त किया। अपने लेखन, वक्तव्य, अनुशासन, कौशलता से सबको अपना बना लिया था। अपनी पापभीरुता, कर्तव्य परायणता से साध्वी ही नहीं, साध्वीप्रमुखा, महाश्रमणी, संघ महानिदेशिका, असाधारण साध्वीप्रमुखा, शासनमाता के खिताब को प्राप्त किया। इतने-इतने अलंकरण प्राप्त होने पर भी उन्हें अहं नहीं था, सबके साथ विनम्र व्यवहार था। मुनिश्री ने कहा - मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि जब वे साध्वीप्रमुखा पद पर आसीन इुई वह दृश्य भी देखने का अवसर मिला तो अंतिम श्वास के साक्षी बनने का अवसर भी प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में मुनि श्रेयांसकुमारजी, मुनि विमलविहारी जी, मुनि नमिकुमारजी, दीपक आंचलिया तथा महिला मंडल की बहनों ने भी अपने भावपूर्ण विचार रखे। रात्रिकालीन भक्ति संध्या मे भंवरलाल डागलिया, मनोज छाजेड़, पवन छाजेड़, चैनसुख गुगलिया, राजेन्द्र बोथरा, तोलाराम श्यामसुखा, मोहन भंसाली, राजेन्द्र सेठिया आदि ने अपने मुधुर गीतों और वक्तव्य से साध्वीप्रमुखा जी के जीवन का चित्रण किया। मुनि श्रेंयांसकुमार जी ने गीत का संगान कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर तपस्या, सामायिक, मौन व क्षमा की साधना का सुन्दर क्रम बना। मुनिश्री ने होली के इतिहास से परिचित कराते हुए आत्मानुशासन की प्रेरणा प्रदान की।