आध्यात्मिक मिलन समारोह कार्यक्रम

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गुवाहाटी।

आध्यात्मिक मिलन समारोह कार्यक्रम

आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य डॉ. मुनि ज्ञानेंद्र कुमारजी ठाणा-2 एवं मुनि प्रशांत कुमारजी ठाणा-2 का आध्यात्मिक मिलन मधुकुंज स्थल पर हुआ। कार्यक्रम स्थल में समारोह को संबोधित करते हुए मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमारजी ने कहा- हमारे धर्मसंघ में आचार, अनुशासन, आत्मीय सौहार्द भाव जीवन तत्व के रूप में पुष्ट हैं। आचार्यों ने अपनी दूरदर्शिता, समयज्ञता, साधना, युगानुकूल चिंतनशैली से जनमानस को बहुत कुछ दिया है। संघ में साधु-साध्वी का आपसी व्यवहार जीवंत प्रेरणा है। प्रमोदभाव से भावित व्यक्ति सकारात्मक चिंतनशैली में जीता है। सौहार्दभाव व्यक्ति की मानसिकता को स्वस्थ बनाता है। प्रत्येक व्यक्ति, वस्तु में उपयोगी तत्व भी होते हैं। पारखी व्यक्ति गुणों की परख करता है। हम गुणग्राही बनना सीखें। मुनि प्रशांत कुमारजी, मुनि कुमुद कुमारजी से तेईस महीने बाद मिलने का अवसर आया। उनके साथ रहना हमें सात्विक प्रसन्नता देता है।
पिछले चौदह वर्ष से संयोग ऐसा बनता आ रहा है कि प्रत्येक वर्ष मिलन हो ही जाता है। ये मिलन दूध पानी का नहीं ये तो दूध मिश्री का मिलन है। दोनों संतों की अपनी विशेषता है। मुनि प्रशांत कुमारजी आज साठ वर्ष पूर्ण कर रहे हैं ये स्वस्थ रहकर आत्मसाधना करते रहें। मुनि प्रशांत कुमारजी ने कहा- सौभाग्यशाली हैं कि हमें ऐसा अनुशासित, मर्यादित धर्मसंघ मिला। पुण्यप्रतापी आचार्यों की सन्निधि हमारे विकास का हेतु बन रही है। आचार्यों की कृपा से हमारी आत्मसाधना उज्ज्वल बन रही है। आचार्य प्रवर हमारी चिंता करते हैं इसलिए हम निश्चिंत हैं। मुनि ज्ञानेंद्र कुमारजी स्वामी अपने आप में विशिष्ट संत हैं। स्वयं की आत्मसाधना करते हुए जनकल्याण के लिए भी सजग रहते हैं। आपश्री ने वर्षों तक मुनि जयचंदलालजी स्वामी की मनोयोग से सेवा दायित्व को निभाया। मौन, ध्यान एवं तप की साधना से परिपूर्ण परिश्रमी जीवन प्रेरक संदेश है। ऐसे संतों के साथ रहकर बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। मुनि पदम कुमारजी परिश्रमी, कार्यकुशल, व्यवहार कुशल, सेवाभावी संत हैं।
मुनि कुमुद कुमारजी ने कहा- पूज्यवरों की कृपा से यहां असम की धरा पर चार संतों के चातुर्मास हो रहे हैं। सिलीगुड़ी चातुर्मास के पश्चात मुनि श्री डॉ. ज्ञानेंद्र कुमारजी से गुवाहाटी की धरा पर मिलन हो रहा है। जैसे एक बच्चा मां की गोद में आकर निश्चिंत हो जाता है वैसे ही हम मुनिश्री के पास आकर निश्चिंत हो जाते हैं। बीस वर्षों से आडासन शयन नहीं करना, वर्षों से वर्षीतप के साथ-साथ घंटों-घंटों ध्यान-जप की आराधना आपश्री की साधना है। इनसे जितना ग्रहण कर सकते हैं उसे ग्रहण कर स्वयं का कल्याण करें। मुनि पदम कुमारजी की सेवा भावना, साधना, पुरुषार्थी जीवन से बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं।
मुनि पदम कुमारजी ने कहा- गौरवशाली तेरापंथ ने हमें पहचान दी है। हमें साधना के पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है। आज मुनि प्रशांत कुमारजी स्वामी की षष्ठीपूर्ति पर मिलने का अवसर मिला। आप स्वस्थ मस्त रहकर आत्म विकास करते रहें। आप शांत, प्रशांत, धीर-गंभीर संत पुरुष हैं। आपने गुरु की कृपा को प्राप्त कर उनके मन में स्थान बनाया है। आपश्री के साथ रहने का मुझे अवसर मिला ये मेरा सौभाग्य है।
मुख्य अतिथि गुवाहाटी के ज्वाइंट कमिश्नर आईपीएस अंकुर जैन ने कहा कि जीवन में साधु-संतों के सान्निध्य का बहुत लाभ मिलता है। कार्यक्रम का शुभारंभ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। सभा अध्यक्ष बाबूलाल सुराणा ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। महासभा, पूर्वोत्तर सभा, तेयुप, महिला मंडल, बिहार नेपाल सभा, दिगम्बर जैन पंचायत, जीतो गुवाहाटी एवं नजदीकी क्षेत्रों की विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने गीत एवं वक्तव्य के द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति दी। मुख्य अतिथि एवं आचार्य महाश्रमण योगक्षेम प्रवास व्यवस्था समिति के महामंत्री निर्मल कोटेचा का सभा द्वारा सम्मान किया गया। हस्तरेखा में पीएचडी डिग्री गोल्ड मेडल प्राप्त प्रवीणा बंसल को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया। आगम प्रभारी दिलीप दुगड़ ने मुनिश्री को आगम भेंट किए। प्रेरणा घोड़ावत ने हस्तनिर्मित कलाकृति भेंट की। आभार ज्ञापन सभा मंत्री राजकुमार बैद ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमुद कुमारजी एवं सभा के वरिष्ठ सहमंत्री राकेश जैन ने किया।