सकारात्मक सोच परिवार को बनाती है समृद्ध

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मुक्ताईनगर।

सकारात्मक सोच परिवार को बनाती है समृद्ध

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि अर्हत कुमारजी ने मुक्ताईनगर में ‘टूटते रिश्ते बिखरते परिवार’ विषय पर अपने उद्बोधन में कहा कि परिवार वह नीड़ है जहां थका-हारा व्यक्ति सुकून की अनुभूति करता है। आज परिवार जिस तरह बिखर रहे हैं, यह एक बहुत बड़ी समस्या है। आज दो पीढ़ियों में कोई संवाद नहीं है, दिलों में इतनी दूरियां है कि सब एक ही छत के नीचे रहते हुए भी अपने-अपने कमरों में बंद है। आज के सम्बन्धों में मात्र संयोग है पर सहयोग नहीं है, समझ तो है पर संवेदना नहीं है, साथ-साथ तो रहते हैं पर साथ-साथ जीते नहीं सिर्फ जीने का नाटक करते है। दुनिया में सात वार होते है पर ये वार तभी खुशहाल होते है तब आठवां वार परिवार खुशहाल हो। हम परिवार की कीमत समझ कर माधुर्य घोलने का प्रयास करें। मुनि भरत कुमारजी ने कहा कि जब सदस्यों के बीच अहंकार का भाव आ जाता है तब रिश्ते और परिवार टूट जाते हैं। मुनि जयदीप कुमार जी ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में आमदार चन्द्रभाऊ पाटिल एंव सकल हिन्दू समाज व व्यापारी एसोसिएशन की अच्छी उपस्थिति रही।