जन्मोत्सव प्रभु महावीर का

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साध्वी कुमुदप्रभा

जन्मोत्सव प्रभु महावीर का

जन्मोत्सव प्रभु महावीर का नभ धरती हरसाए।
सिद्धारथ कुल उजियारे को श्रद्धा शीष झुकाएं।
अमर आलोक अभिनंदन।।
चौदह स्वप्न देख माता त्रिशला का मन हरसाया,
ज्योतिर्मय नंदन का नाम वर्धमान कहलाया।
त्रिभुवन के वे नाथ त्रिलोकी देव दुंदुभि बजाए।।
असंविभागी न हु तस्स मोक्खो का सिद्धांत दिराया,
आग्रह विग्रह को दूर घटाएं अनेकांत मन भाया।
अहिंसा के राजपथ पर मैत्री दरिया बहाएं।।
संयम तप के तपोवन में ध्यान का दीप जलाया,
उपसर्गों की आंधियों में समता शंख बजाया।
शांति का संदेश पावन जीवन सफल बनाएं।।
अभयदान दिया जीवों को करुणा सागर प्रभु ने,
अन्तर्यामी बने हम सब मंत्र दिया महाविभु ने।
महासूर्य अजर अविनाशी चेतना चमकाएं।।
कांतमणि केवलज्ञानी को शत-शत नमन हमारा,
चंदनबाला, चंडकौशिक को तेजपुंज ने तारा।
चौबीसवें जिनमाण के शासन में नैय्या पार लगाएं।।
लय - माइन माइन