
संस्थाएं
समता और आत्म बल का प्रतिरूप है संथारा
राजगढ़ सादुलपुर। सादुलपुर के स्व. झूमरमल बैद की धर्मपत्नी सिरेकंवरी देवी के 56 दिवसीय संथारे की संपन्नता पर सेठिया भवन में श्रद्धांजलि सभा में उद्बोधन देते हुए 'शासनश्री' साध्वी विद्यावतीजी ने कहा कि संथारा महातप है और समता एवं आत्म बल का प्रतिरूप होता है। साध्वीश्री ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ सेवा, त्याग और समर्पण का प्रतीक है। साध्वी सूर्ययशाजी ने संथारे की महत्ता का उल्लेख करते हुए नवरात्र अनुष्ठान की जानकारी दी। कार्यक्रम में साध्वी दिव्यप्रभाजी, साध्वी प्रशस्तप्रभाजी, सभा अध्यक्ष अमरचंद कोठारी, मंत्री विनोद कोचर, युवक परिषद अध्यक्ष प्रमोद दुगड़, श्याम जैन, परिजन एवं अन्य वक्ताओं ने सिरे कंवरी देवी के त्याग और तप पर विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर उपस्थित जनता ने साध्वी वृन्द से विभिन्न अध्यात्मिक संकल्प तथा त्याग-प्रत्याख्यान स्वीकार किए। कार्यक्रम का संयोजन उषा दूगड़ ने किया।