भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

संस्थाएं

मंड्या।

भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

साध्वी सिध्दप्रभाजी के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद् मंड्या द्वारा भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन स्थानीय तेरापंथ भवन में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री द्वारा मंगल मंत्रोच्चार के साथ हुई। तेयुप सदस्यों द्वारा विजयगीत का संगान हुआ। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन परिषद् के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण दक द्वारा किया गया। उपस्थित श्रावक समाज का स्वागत परिषद् अध्यक्ष कमलेश गोखरू ने किया। साध्वी सिध्दप्रभाजी ने कहा- आचार्य भिक्षु क्रान्तिकारी पुरुष थे। तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक थे। उनका दर्शन था त्याग धर्म - भोग अधर्म, व्रत धर्म - अव्रत अधर्म, आज्ञा धर्म - अनाज्ञा अधर्म, बल-प्रयोग में धर्म नहीं, हृदय परिवर्तन में धर्म आदि। आज तेरापंथ के चार पिलर हैं - आचार, मर्यादा, अनुशासन और संगठन। यहाँ आचार्य सर्वेसर्वा होते हैं। हम सब का कर्तव्य है गुरु दृष्टि की आराधना करना और संघ की प्रभावना करना। ऐसा कोई काम न करें, जिससे जैन धर्म, तेरापंथ की अप्रभावना हो। साध्वी आस्थाप्रभाजी ने सुमधुर गीत के द्वारा भिक्षु दर्शन को समझाया। युवक परिषद् के पूर्व अध्यक्ष संदीप आच्छा के द्वारा पुष्पाश्रय -2 के निर्माण हेतु तेरापंथ युवक परिषद् के द्वारा उनका सम्मान किया गया। आभार ज्ञापन युवक परिषद् मंत्री प्रदीप भंसाली ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रवीण दक ने किया।