क्रोध रूपी जहर को निगलने वाला बन जाता है भगवान

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राजाजीनगर।

क्रोध रूपी जहर को निगलने वाला बन जाता है भगवान

आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संयमलताजी के सान्निध्य में एंगर मैनेजमेंट कार्यशाला का आयोजन किया गया। साध्वीश्री ने क्रोध से उत्पन्न हुई ऊर्जा का सही उपयोग का तरीक़ा बताते हुए श्रावकों को कहा- क्रोध रुपी ज़हर को निगलने वाला भगवान बन जाता है। क्रोध में व्यक्ति की विवेक रूपी आँख बंद हो जाती है और वाणी पर लगाम नहीं रहती है अतः क्रोध रूपी विभाव को बदलने हेतु प्रैक्टिकल प्रयोग करने होंगे। साध्वीश्री ने कहा कि क्रोध से उत्पन्न ऊर्जा का प्रयोग लेखन, कला, साहित्य में करके व्यक्ति आकाश की ऊँचाइयों को छूने का प्रयास करे। साध्वी मार्दवश्रीजी ने अर्हम की ध्वनि के साथ ज्योति केंद्र प्रेक्षा का प्रयोग करवाया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा परिवार, तेयुप साथीगण एवं महिला मंडल की अच्छी उपस्थिति रही।
'माया बनाम माया' कार्यशाला में साध्वी संयमलताजी ने श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा- माया मित्रता को नाश करने वाली होती है। माया की चमक मानव को भ्रमित करने वाली है। आज व्यक्ति अपनी हर श्वास पैसे में लगा रहा है पर एक पैसा भी उस श्वास में नहीं लगता है अतः व्यक्ति पैसे तो कमाए पर माया से अशुभ कर्मों का बंधन करने से बचे। एक छोटी सी माया हमारे अनेक भवों को बिगाड़ देती है। साध्वीश्री ने अनेक घटनाओं के माध्यम से माया के दुष्परिणाम बताते हुए माया को कम करने की प्रेरणा दी। साध्वीवृंद ने गीतिका के माध्यम से माया की व्याख्या की। साध्वी रौनकप्रभाजी ने माया का अर्थ बताते हुए भगवान मल्लिनाथ के जीवन में हुई माया के परिणाम को बताया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा राजाजीनगर के अध्यक्ष अशोक चौधरी एवं सभा परिवार, तेयुप अध्यक्ष कमलेश चौरडिया एवं तेयुप परिवार, महिला मंडल अध्यक्ष उषा चौधरी एवं महिला मंडल परिवार एवं श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।