अप्रभावित होकर खेलने वाला विजयी होता है

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सिरियारी।

अप्रभावित होकर खेलने वाला विजयी होता है

आचार्य भिक्षु समाधि स्थल संस्थान सिरियारी के भिक्षु आराध्यम् में सप्तम प्रेक्षाध्यान मासिक शिविर के समापन कार्यक्रम में शिविर साधकों को सम्बोधित करते हुए मुनि धर्मेशकुमारजी ने कहा- अप्रभावित होकर खेलने वाला विजय प्राप्त करता है। उसी प्रकार ध्यान साधना में आने वाले विघ्नों से अप्रभावित रहकर ही लक्ष्य की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है। संकल्प शक्ति, निरन्तरता से हर समस्या का समाधान खोजा जा सकता है। जीवन के युद्ध में अपनी कमजोरियों को परास्त कर अच्छाईयों की ओर बढ़ने वाला ही विजयी हो सकता है। मुनि चैतन्य कुमारजी 'अमन' ने अपने उ‌द्बोधन में कहा- हमें जब तक मंजिल न मिले तब तक अपने पुरुषार्थ को जारी रखना होगा। दीपक, लाईट, चन्द्र, तारे, सूर्य सारे प्रकाश अधूरे हैं। पूर्ण प्रकाशमान हमारी आत्मा है। ध्यान का लक्ष्य है उस पूर्णता के प्रकाश को प्राप्त करना।
मुनि सुविधि कुमारजी ने साधक-साधिकाओं को मार्ग दर्शन करते हुए अपने विचार प्रस्तुत किए। संस्थान के उपाध्यक्ष उतमचंद सुखलेचा, मुख्य प्रशिक्षक नागपुर से समागत आनंदमल सेठिया, हेमराज सुन्देचा, अभिषेक दूगड़, पाली जिलाध्यक्ष सुनिल भण्डारी, हनुमान बरड़िया आदि ने अपने अनुभव विचार प्रस्तुत किए। प्रेक्षागीत का संगान कर कार्यक्रम का शुभारंभ साधिकाओं ने किया। भरत धोका ने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन लक्षिता धोका ने किया।