महाप्रज्ञ हमारे

रचनाएं

साध्वी उज्ज्वलरेखा

महाप्रज्ञ हमारे

महाप्रज्ञ हमारे, नयन सितारे, बालूनंद दुलारे।
महाप्रज्ञ हमारे।।
1. भिक्षु तुलसी के भाष्यकार, आगम सम्पादन की सरिता।
ऊंचाई शासन को अभिनव, संबोधि सचमुच ही गीता।
कवि लेखक व्याख्याता वक्ता, प्रवचन बदले जीवन धारा।
अतिशय ज्ञानी का क्या कहना, अवद्युत अहिंसा का प्यारा।
2. हे सिद्ध पुरुष परमानन्द, अन्तर्दृष्टि सुखमय सृष्टि।
ऊर्जा के अभिनव स्रोत सदा, दी मानवता को नूतन दृष्टि।
सब धर्म गुरु के सम आसन, से खिलती सतरंगी महफिल।
अणुवत प्रेक्षा के दीप जले, पथ भूले राही की मंजिल।
3. अमृत बांटा विषपान किया, बनके तुम सच्चे शिवशंकर।
अंधियारी रजनी में चंदा, गण गगणांगन के दिवाकर।
प्रज्ञा का स्रोत बहे अविरल, प्रभु अखिल विश्व के अखिलेश्वर।
भारत सपूत हो शान्तिदूत, मैत्री करुणा के गंगाधर।
4. जन-जन की प्रज्ञा जाग उठे, प्रज्ञोत्सव के क्षण ये उजले।
महाश्रमण चरण में खुशहाली, भक्ति रस के सरगम निकले।
आस्था की रंगोली रचकर, यादों के वंदनवार सजे।
श्रद्धांजलियां अर्पित करते, सबके अन्तरमन तार बजे।
तर्ज़ - मेरे देश की धरती