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संथारा समाचार
लूणकरणसर। लूणकरनसर निवासी रिद्धु देवी दुगड़ धर्मपत्नी स्व. चौथमल दुगड़ को पूज्य गुरुदेव युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की स्वीकृति से 'शासनश्री' साध्वी बसन्तप्रभा जी ने पूर्ण चेतन अवस्था में पारिवारिक जनों की सहमति से तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान करवाया। इन्होंने पांच दिनों की तपस्या के बाद संथारा स्वीकार किया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा, महिला मंडल एवं युवक परिषद के पदाधिकारीगण तथा समाज के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। रिद्धु देवी दुगड़ अपने जीवन के शताब्दी वर्ष में जीवन यापन कर रही थीं। परिजनों के अनुसार वे अपने जीवन में बराबर तपस्या भी करती व हमेशा यही कहती कि मुझे अंतिम समय में संथारा पचखा देना। साध्वी बसंतप्रभा जी आदि साध्वी वृंद ने संथारा साधिका के भावों को प्रवर्धमान बनाए रखा। 6 दिनों के तिविहार संथारे एवं 1 घंटे के चौविहार संथारे के साथ 22 मार्च 2025 को प्रातः 11:31 बजे आपका मनोरथ सिद्ध हुआ।