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आचार्य भिक्षु का लक्ष्य था आत्मशुद्धि
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आदि पुरुष आचार्य भिक्षु का 266वां अभिनिष्क्रमण दिवस ओएसिस पब्लिक स्कूल, कावेरिपक्कम में मुनि मोहजीतकुमार जी के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर अहोभाव प्रकट करते हुए मुनि मोहजीत कुमारजी ने कहा-आचार्य भिक्षु ने जैन जगत में आचार, विचार, सामाचारी की एकरूपता के लिए क्रान्तिकारी कदम उठाया। उनके जीवन का लक्ष्य था आत्मशुद्धि। वे शुद्ध आचार की संकल्पना से अनुबन्धित विचार धारा को लेकर आगे बढ़े। इस क्रम में उन्हें अनेक प्रकार के संघर्षो का सामना करना पड़ा पर उनका आत्मबल और विचारबल
इतना सशक्त था कि हर पक्ष में जीत हासिल हुई। उन्होंने रामनवमी के दिन साधुता की अनेक कसौटियों को शुद्ध साधुत्व की अनुपालना के लिए मुखरित किया। उसी का सुपरिणाम है तेरापंथ धर्मसंघ की स्वस्थ परम्परा जो कि एक आचार्य के नेतृत्व में गतिमान है। आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर मुनिश्री ने जप के साथ गीत का संगान किया। कार्यक्रम में चैन्नई तथा वालजापेठ के श्रावकगण विशेष रूप से उपस्थित थे।