2624वें भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम

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सांडवा

2624वें भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम

साध्वी संघप्रभाजी के सान्निध्य में भगवान महावीर का 2624वाँ जन्मकल्याणक दिवस सांडवा में अत्यंत श्रद्धा व भव्यता के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दिलीप डागा द्वारा प्रस्तुत सुमधुर गीतिका से हुआ। साध्वी संघप्रभाजी ने अपने उद्बोधन में कहा— भगवान महावीर का जन्म उस युग में हुआ जब मानवता हिंसा और विषमता की आग में जल रही थी। धर्म जातिवाद और संप्रदायवाद की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। क्षत्रिय कुण्डग्राम के महाराज सिद्धार्थ के राजमहलों में माता त्रिशला के गर्भ से जन्मे बालक वर्धमान ने कठोर तपस्या द्वारा महावीरत्व को प्राप्त किया। साध्वी जी ने महावीर के सिद्धांतों— अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत— की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने विश्व को शांति का अमूल्य संदेश दिया। इस पावन अवसर पर बजरंगी भंसाली, संतोष देवी, जया भंसाली, छाजेड़ आदि वक्ताओं ने भी वक्तव्य में भगवान महावीर के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। तेरापंथ महिला मंडल ने 'महावीर भगवान थांरो ध्यान धरांजी' का संगान किया। ज्ञानशाला के बच्चों एवं कन्या मंडल द्वारा 'बधाई-बधाई राजमाता बधाई, नंदन जनम पर खुशियाँ हैं छाई' जैसे भावपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत किए। साध्वी सोमश्रीजी ने भगवान महावीर के 'वर्धमान रूप' का चित्रण करते हुए उन्हें केवल वीर नहीं बल्कि महावीर बताया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने किया तथा आभार ज्ञापन सुरेन्द्र भंसाली ने किया।