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2624वें भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा समदड़ी के तत्वावधान में महावीर भवन में भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव अत्यंत भव्यता एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। प्रातःकाल भगवान कुंथुनाथ जैन मंदिर से प्रभातफेरी का शुभारंभ हुआ, जो भक्तिभाव से ओतप्रोत वातावरण में महावीर भवन तक पहुंची। सकल जैन समाज ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। महावीर भवन में आयोजित कार्यक्रम में साध्वी अणिमाश्रीजी ने कहा - चेतना के चिन्मय मुंडेर पर अध्यात्म का दीप प्रज्ज्वलित करने वाली महाशक्ति का नाम है—भगवान महावीर। साधना के शिखर पर आरोहण कर शाश्वत आनंद प्राप्त करने वाली सत्ता है—भगवान महावीर। उनका जन्म मानवता के लिए महासूर्य का उदय है। साध्वीश्री ने आगे कहा कि आज आवश्यकता है महावीर को केवल मानने की नहीं, बल्कि महावीर की मानने की पृष्ठभूमि का निर्माण करने की। पूजा, स्तवन, आरती आदि करणीय कर्म हैं, परंतु वर्तमान संदर्भ में महावीर के मूल सन्देश को जीवन में अपनाना ही उनका सच्चा स्मरण होगा। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा कि भगवान महावीर की समता, ममता और क्षमता हमारे जीवन को दिशा देने वाली प्रेरणा हैं। डॉ. साध्वी सुधाप्रभाजी ने मंच संचालन करते हुए कहा, ''मां त्रिशला और राजा सिद्धार्थ के घर जन्मे वर्धमान ने तप-साधना से ‘महावीर’ स्वरूप प्राप्त कर जन-जन के आराध्य बन गए।'' साध्वी समत्वयशा जी ने सुमधुर गीत के माध्यम से वातावरण को भक्तिभाव से सराबोर किया। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने अपने वक्तव्य में भगवान महावीर को अध्यात्म के गौरीशंकर की संज्ञा दी। सभा अध्यक्ष अरुण अब्बानी और प्रकाश मेहता ने अपने विचार व्यक्त किए। समदड़ी महिला मंडल एवं प्रौढ़ बहनों ने भगवान महावीर की स्तुति में मंगल संगान और स्वरलहरियों की प्रस्तुति दी।