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प्रेक्षा ध्यान, जीवन-विज्ञान और साहित्य के महान आचार्य को 16वें महाप्रयाण दिवस पर विविध कार्यक्रम
साध्वी समन्वयप्रभाजी के सान्निध्य में आचार्य श्री महाप्रज्ञ का 16वां महाप्रयाण दिवस अभ्यर्थना समारोह के रूप में समायोजित किया गया। साध्वीश्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि नत्थू से आचार्य महाप्रज्ञ बनने तक की यात्रा विकास की एक ऊर्जस्वित यात्रा रही है। उनकी प्रज्ञा ने नये आयाम प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने युगीन समस्याओं को गहराई से समझा और उनके समाधान की दिशा भी दिखाई। उनका साहित्य एक महासूर्य के समान है—जिसकी एक किरण भी यदि किसी को प्राप्त हो जाए तो वह जीवन का कल्याण कर सकती है। आचार्य महाप्रज्ञ प्रेक्षाध्यान के प्रयोगधर्मी आचार्य थे। उन्होंने वर्षों तक दिव्य साधना की और विभिन्न मंत्रों व आसनों के माध्यम से एक ऐसी शक्ति का जागरण किया, जो विश्वशांति का मंत्र बन गई। साध्वी चारुलताजी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष सतपाल जैन, मंत्री शिव कुमार जैन, जिनेन्द्र, निर्मल एवं खेताराम ने अपने विचार प्रस्तुत किए। किशोर मंडल से मुदित तथा महिला मंडल से नीलम जैन ने भी अपने भावपूर्ण उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का मंगलाचरण सभा के सहमंत्री गौरीशंकर जैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी संयमप्रभा जी द्वारा किया गया।