
गुरुवाणी/ केन्द्र
मोक्ष का आधार है कषाय मुक्ति : आचार्यश्री महाश्रमण
तीर्थंकर के प्रतिनिधि, मैत्री के महान प्रेरणा स्रोत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ अक्षय तृतीया महोत्सव के आयोजन हेतु चार दिवसीय प्रवास पर डीसा नगर पधारे। विशाल अक्षय समवसरण में तप के अक्षय कोष आचार्यप्रवर ने कहा— प्रश्न है—'मुक्ति कब मिलेगी?' उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, 'मोक्ष का मूल आधार कषाय मुक्ति है। केवल दिगंबर या श्वेतांबर कहलाने से मुक्ति नहीं मिलती। जब व्यक्ति क्रोध, मान, माया और लोभ—इन चारों कषायों से मुक्त हो जाता है, तभी मुक्ति सुनिश्चित है। क्षीण मोह की प्राप्ति ही मोक्ष का द्वार खोलती है।'
पूज्यवर ने क्रोध को मनुष्य का शत्रु बताते हुए कहा कि गुस्सा सामाजिक, व्यावसायिक, व्यावहारिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अहितकारी है। यह एक नाग के समान है। क्षमा कर देना, विशेषतः सामर्थ्य होते हुए भी, महानता का चिह्न है। ‘मार सके मारे नहीं ताको नाम मर्द’, ‘क्षमी वीरस्य भूषणम्।’ पूज्यवर ने आगे कहा कि संवत्सरी क्षमा पर्व है—यह मैत्री और क्षमा का प्रतीक है। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह जीवन में शांति बनाए रखे और गुडमैन बने।
आज हमारा अक्षय तृतीया समारोह के संदर्भ में डीसा में आना हुआ है। यह समारोह भगवान ऋषभ से जुड़ा हुआ है। आज अक्षय तृतीया का पूर्व का दिन है। वे क्षीण मोह बन गए और उस जीवन के बाद मोक्ष को भी प्राप्त हो गए। कितने-कितने गृहस्थ वर्षीतप करने वाले होते हैं। यह वर्षीतप एकदम अखण्ड हो जाए तो बहुत अच्छी तपस्या हो सकती है। वर्षीतप के साथ धर्म, ध्यान साधना, जप आदि का क्रम चलता है तो यह विभूषित हो सकता है। अक्षय तृतीया के संदर्भ में आज हमने डीसा में प्रवेश किया है। परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी डीसा में पधारे थे। लगभग 23 वर्षों के बाद इस बार हमारा आना हुआ है। यहां के सभी लोगों में धार्मिक भावना पुष्ट होती रहे। साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी ने होने उद्बोधन में कहा, 'परम पूज्य आचार्यप्रवर केवल अक्षय तृतीया मनाने नहीं, बल्कि लोककल्याण हेतु पधारे हैं। वे जैन एकता की बात करते हैं। आप केवल जैनाचार्य नहीं, बल्कि जनाचार्य भी हैं, और जनाचार्य ही सबके हित की बात कर सकते हैं। जैन बने न बने, पर गुडमैन अवश्य बनें।'
पूज्यवर के स्वागत में अक्षय तृतीया प्रवास व्यवस्था समिति, डीसा के स्वागताध्यक्ष फूलचंद बाफणा, सभाध्यक्ष प्रकाशचंद बाफणा, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष नवीन श्रीश्रीमाल, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष प्रेमदेवी बोरदिया आदि ने अपनी भावनाएं प्रकट कीं। तेरापंथ समाज-डीसा ने स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ युवक परिषद-डीसा ने भी गीत का संगान किया। दरबार समाज के अध्यक्ष बहादुरसिंह बाघेला, बीके न्यूज चैनल के मगनलाल माली, जैन जागृति सेंटर के अध्यक्ष मीठालाल जीरावला ने पूज्यवर के स्वागत में अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।