समता, विनम्रता की मूरत : 'शासनश्री' साध्वी मदनश्रीजी

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साध्वी अणिमाश्री

समता, विनम्रता की मूरत : 'शासनश्री' साध्वी मदनश्रीजी

जीवन में निष्ठा के साथ सतत गतिशील रहने वाली सक्रिय चेतना का नाम है- साध्वी मदनश्री। जीवन के हर मोड़ को सहजता के साथ पार कर देने वाली पवित्रात्मा का नाम है- साध्वी मदनश्री। स्वस्थ, सुखी ओर आनन्दमय जीवन जीने वाली हकीकत का नाम है- साध्वी मदनश्री। समता और विनम्रता के युगपत् योग का नाम है- साध्वी मदनश्री। जिनकी विशिष्ट सेवावृत्ति ने परिपार्श्व में रहने वाली हम साध्वियों में सेवा के संस्कारो को संपुष्ट किया। परम पूज्य आचार्य श्री तुलसी की कृपा से साध्वी रायकुमारी जी के साथ सहवर्ती के रूप में रहते हुए उनके साथ लगभग 24 वर्ष साथ रहने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे जीवन निर्माण में साध्वी रायकुमारी जी, साध्वी कानकुमारी जी के साथ-साथ साध्वी मदनश्रीजी का भी निरन्तर आत्मीय सहयोग प्राप्त हुआ। अतीत के वे प्रेरक पल आज भी प्रेरणा का पथ प्रशस्त करते हैं। रत्नाधिक होने के बावजूद उनका वात्सल्य प्राण-प्राण में पुलकन भर देता था। वे प्राय: हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती थीं। उनकी प्रमोद-भावना, गुण ग्राहकता अद्भुत थी। अपनी जन्मभूमि में स्थिरवासी बनकर अपनी संयम यात्रा को चौविहार अनशन पूर्वक सम्पन्न कर धन्य बन गई। संसारपक्षीय भाणजी साध्वी मंजुयशाजी के उनकी अंतिम सेवा, सहयोग एवं अनशन के प्रत्याख्यान के साथ-साथ अंतिम श्वास की साक्षी बनने का गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी कृपा से अनूठा योग प्राप्त हुआ। यह आह्लाद का विषय है। उस पल में साथ जीने का सौभाग्य किसी-किसी को उपलब्ध होता है। दिवंगत आत्मा निरन्तर वीतराग पथ पर अग्रसर रहे, मंगलकामना।