
रचनाएं
जीवन सौम्य विधायक हो
शासनश्री साध्वी मदन श्रीजी, जीवन सौम्य विधायक हो।
शान्त स्वभावी सरलमना, निर्मल संयम उद्बोधक हो।।
सरदारशहर नौ की दीक्षा, तुलसी गुरूवर मुखकमल ग्रही,
साध्वी श्री रायकंवरजी की अनुगामिनी, संयम बाट बही।
संघ समार्पित जीवन थांरों, ओ प्रेरणा दायक हो।।
जीवन जीयो थे एक ग्रुप में, बणकर आंख्यां रो तारो,
मिलन सारिता सात्विक स्नेह, पूरित हो जीवन थांरो।
ओर निर्जरा नीति रो, बोध पाठ प्रदायक हो।।
पंचायत नहीं थांरी म्हारी, जो भुलायो काम करयो,
व्यवहार कुशलता सहनशीलता, मानस राख्यो हरयो भरयो।
वसुमती री सेवा महानिर्जरा, थे ही रहया सहायक हो।।
समाधि केन्द्र में काम करयो, नीति विशुद्ध सदा थांरी,
जन्म भूमि बीदासर, और प्रयाण भूमि बन गई थांरी।
संयम यात्रा का लाभ पूर्ण ले, मुक्ति के लायक हो।।
साध्वी मंजुयशा जी सेवा में, सिद्ध काम मन भावक हो।।
लय - तुलसी है प्राणा स्यूं प्यारो