प्राप्त करो भव थाह

रचनाएं

मुनि कमलकुमार

प्राप्त करो भव थाह

जयवंता हमको मिला, जग में तेरापंथ,
नंदनवन के तुल्य है, महिमा का क्या अंत?
'शासनश्री' से अलंकृत, साध्वी मदन सुनाम,
बीदासर की लाडली, स्मृति कर रहे तमाम।।
संलेखन के साथ में, संथारा स्वीकार,
कलात्मक जीवन सफल, कर गई जय-जयकार।।
तुलसी गुरुमुख कमल से, दीक्षित हुई सहर्ष,
सजग रही पल-पल सतत, दिखा दिया आदर्श।।
महाप्रज्ञ-महाश्रमण की, आज्ञा के अनुसार,
विहरण करके अंत में, कर गई बेड़ा पार।।
मंजुयशा सतीवर सजग, सेवा में हर याम,
वैशाख कृष्ण एकादशी, सिद्ध किया निज काम।।
क्रमशः बढ़ती ही रहो, प्राप्त करो भव थाह,
कमल-नमि के हृदय की, यही एक है चाह।।