
रचनाएं
नव इतिहास रचाया है
साध्वी संचित की जयकार, करके संथारा स्वीकार।
गण पर कलश चढ़ाया है, नव इतिहास रचाया है।।
1. डालचंद जी किरण देवी की कुक्षी है उजाली।
चंडालिया कुल की थी लाडेसर सबको लगती प्यारी।
चढ़ती वय में संयम पाया, सरला से संचित नाम सुहाया।
जीवन धन्य बनाया है।।
2. गुरु तुलसी के कर कमलों से संयमश्री को पाया।
गुरु महाप्रज्ञ की प्रज्ञा से ज्ञान का दीप जलाया।
आत्म भाव से भावित बनना, निज-पर का कल्याण करना।
ऐसा लक्ष्य बनाया है।।
3. शासनश्री सती सोमलता जी को सेवा खूब सुहाई।
साध्वी शकुंतला, जागृत, रक्षित सहयोगी मनभाई।
ग्रुप की सुपर स्टार साध्वी, आलराउंडर भी थी साध्वी।
सबके दिल को लुभाया है।।
4. इतनी जल्दी चले गये क्यों सबका साथ छोड़कर।
आंखों में आंसू नहीं थमते दिल में दर्द देकर।
देवलोक से फोन आया, सीमंधर का दर्शन पाया।
गुरु का वचन सवाया है।।
5. बड़े भाग्य से भैक्षव शासन, नंदन वन है पाया।
महायशस्वी महाश्रमण का, सिर पर हाथ सवाया।
तेयुप की सेवा है भारी, महिला मंडल है आभारी।।
अद्भुद दृश्य दिखाया है।। विलेपार्ले में ठाठ लगाया है।।
लय- नीले घोड़े रा असवार