संघमणि आज  बधाएँ हम

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साध्वी शीलयशा - साध्वी सलिलयशा

संघमणि आज बधाएँ हम

मंगलमय ये घड़ियां आई, कण-कण में खुशहाली छाई।
शासन भाग्य लता लहराई, मानस कलि-कलि विकसाई।
भावों का उपहार सजाएं हम, संघ मणि आज बधाएँ हम।।
1. वैशाखी चौदस को प्रभु ने नव इतिहास रचाया,
महाश्रमण की कृपा सवाई, प्रमुखा पद बक्साया।
अम्बर अमृत रस बरसावे, दशों दिशाएं गीत सुनावे।
श्रद्धा दीप जलाएं हम, स्वागत थाल सजाएं हम।।
2. ममता मयी मां पाकर तुमको, प्रफुल्लित मानस मेरा,
हर्षोल्लास के क्षण लाया, चयन दिवस यह तेरा।
चयन पर मन मयूर नाचै, छम-छम यश घुँघुरु अै बाजै।
अन्तर ज्योति जलाएं हम, उपशम आभा को पाएं हम।।
3. चित्त समाधि पूर्ण व्यवस्था, जागरूकता हरदम,
विलक्षण प्रतिभा, सहज सरलता, सहिष्णुता प्रबलतम।
आपका मिला हमें आधार, नाज हमें है बारम्बार।
इंगित पर बढ़ते ही जाए हम, नत मस्तक शीश झुकाएं हम।।
4. चिरायु शतायु रहो निरामय, तहेदिल यही कामना,
हर दिन नव इतिहास रचे, हमारी यही भावना।
चयन दिवस सदा मनाएं, श्रम से गण बगिया महकाएं।
संघमणि आज बधाएँ हम, भावों का उपहार सजाएं हम।।
लय - नीले घोड़े रा